सरकारी दुकानों पर डीएपी नहीं होने से गेहूं का बीज भी नहीं बिक रहा

जींद में किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद नहीं मिल रहा है। जिसके कारण लोग खाद के लिए दूसरे जिलों में अपने रिश्तेदारों को भी फोन कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 06:42 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:25 PM (IST)
सरकारी दुकानों पर डीएपी नहीं होने से गेहूं का बीज भी नहीं बिक रहा
सरकारी दुकानों पर डीएपी नहीं होने से गेहूं का बीज भी नहीं बिक रहा

जागरण संवाददाता, जींद : किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद नहीं मिल रहा है। जिसके कारण लोग खाद के लिए दूसरे जिलों में अपने रिश्तेदारों को भी फोन कर रहे हैं। जिले में कृषि विभाग का दावा है कि उनके पास पर्याप्त स्टाक है। लेकिन सरकारी दुकानों पर पिछले 15 दिन से डीएपी खाद नहीं है। इससे एक तरफ जहां किसान परेशान हैं। वही निजी डीलर्स की भी मनमानी बढ़ रही है। किसानों का कहना है कि प्राइवेट डीलर्स डीएपी तभी देते हैं, जब उनके यहां से गेहूं का बीज खरीदें। इस कारण सरकारी दुकानों पर आया बीज नहीं बिक पा रहा है। सरकारी दुकान पर निजी डीलर्स की तुलना में बीज का बैग 100 से 150 रुपये सस्ता है। लेकिन सरकारी दुकान पर डीएपी ना होने की वजह से किसान केवल गेहूं का बीज नहीं खरीद रहे।

किसानों का कहना है कि अगर वह सरकारी दुकान से गेहूं का बीज खरीद लेंगे, तो डीएपी कहां से लाएंगे। डीलर तभी डीएपी देंगे, जब उनके यहां से गेहूं का बीज खरीदेंगे। दी जींद कोआपरेटिव मार्केटिग कम प्रोसेसिग सोसाइटी लिमिटेड केंद्रों पर जिले में आठ हजार से ज्यादा गेहूं के बीज के बैग आए हुए हैं। जिनमें से अभी तक 500 गेहूं के बीज के बैग भी नहीं बिक पाए हैं। जबकि हर साल जींद पुरानी अनाज मंडी में सोसाइटी की दुकान पर ही 17 से 18 हजार गेहूं के बीज के बैग बिकते थे।

निजी डीलर्स की मनमानी बढ़ी

सोसाइटी के प्रधान संजय पहल का कहना है कि सरकारी दुकान पर डीएपी उपलब्ध ना होने से किसानों को परेशानी हो रही है। इससे निजी डीलर्स की मनमानी भी बढ़ रही है अगर जल्दी सरकारी दुकानों पर डीएपी नहीं आया, तो इस बार गेहूं के बीज के बैग नहीं बिक पाएंगे। जब प्राइवेट डीलर्स के पास डीएपी खाद पहुंच सकता है, तो सरकार व प्रशासन को सरकारी दुकानों पर भी डीएपी उपलब्ध कराना चाहिए।

प्रतिदिन 100 से ज्यादा किसान डीएपी के लिए आते हैं

सोसाइटी के सेल्समैन अंकित ने बताया कि प्रतिदिन उनके यहां 100 से ज्यादा किसान डीएपी लेने के लिए आते हैं और खाली हाथ वापस लौट जाते हैं। यह स्थिति पूरे जिले की है प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। नवंबर के पहले सप्ताह में गेहूं की बिजाई का सीजन जोर पकड़ेगा। अगर उस समय किसानों को डीएपी नहीं मिल पाया, तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

खाद के लिए काट रहे चक्कर

लुदाना गांव के किसान सत्यवान ने बताया कि पुरानी अनाज मंडी में सरकारी दुकान पर डीएपी के लिए वह कई बार आ चुका है। हर बार कहा जाता है कि तीन-चार दिन में डीएपी आ जाएगा। प्राइवेट डीलर्स के पास जाते हैं, तो वे डीएपी के साथ गेहूं का बीज भी खरीदने के लिए कहते हैं। उसे गेहूं के बीज की जरूरत नहीं है। गेहूं का बीज घर पर ही तैयार किया हुआ है।

सरकारी दुकानों के लिए भेजी हुई है डिमांड

कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर नरेंद्र पाल का कहना है कि जिले में डिमांड के अनुसार डीएपी मंगाया जा रहा है। फिलहाल निजी डीलर्स के पास डीएपी उपलब्ध है। किसानों को निर्धारित 1200 रुपये प्रति बैग डीएपी देने के लिए डीलर्स को आदेश दिए गए हैं। अगर कोई डीलर इससे ज्यादा रुपये वसूलता है, तो किसान उसकी शिकायत करें। सरकारी दुकानों पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए इफको के 60 हजार बैग की डिमांड सरकार को भेजी हुई है।

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