दुख की राह से होकर गुजरता है सुख का मार्ग : आचार्य पवन शर्मा
जीवन में सुख और दुख धूप-छांव की तरह आते हैं। संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो इससे बच सका हो।
जागरण संवाददाता, जींद : जीवन में सुख और दुख धूप-छांव की तरह आते हैं। संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है, जो इससे बच सका हो। सुख का मार्ग दुख की राह से होकर ही गुजरता है। यह सद्वचन आचार्य पवन शर्मा ने गुप्त नवरात्रों के अंतिम दिन रविवार को माता वैष्णवी धाम में आयोजित सत्संग में मौजूद श्रद्धालुओं को दिए। आचार्य ने कहा कि विधाता की सृष्टि द्वंद्वात्मक है। यहां सुख है तो दुख भी है, लाभ है तो हानि भी है, यश है तो अपयश भी है और जीवन है तो मरण भी है। इसी कारण भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में चराचर जगत को दुखालयम की संज्ञा दी है। हर प्राणी के जीवन में चाहे सुख आए अथवा दुख, इसे सहज रूप में स्वीकार कर जीवन जीने का अभ्यास कर लेना चाहिए। आचार्य ने कहा कि यह मानव जीवन एक रणभूमि है। यहां मनुष्य को सुख और दुख दोनों से लड़ना है। इसमें हम कई बार हारने लगते हैं और हताष और निराश होकर जीवन के रणांगण में अर्जुन की तरह हथियार डाल देते हैं, जो कर्मयोगी दृढ़ संकल्पवान मनुष्य को शोभा नहीं देता। यह जरूरी नहीं है कि द्वापर की भांति भगवान श्रीकृष्ण हर बार हमारे समक्ष उपस्थित होकर हमें उपदेश कर हमारे मनोबल को सुदृढ़ करें। गीता में समाहित उनका ज्ञान, कर्म और भक्ति का संदेष दु:खों से जूझने में आज भी हमारे लिए सबसे बड़ा संबल प्रमाणित हुआ है। बाबा श्यामजी का भंडारा 24 को जुलाना में
संवाद सूत्र, जुलाना : जुलाना में कन्या पाठशाला के पास बाबा श्यामजी के मंदिर में 24 फरवरी को भंडारे का आयेाजन किया जाएगा। इसमें हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे। भक्त राजू परुथी ने बताया कि क्षेत्र में सुख एवं शांति बनी रही, इसलिये द्वादशी के दिन 24 फरवरी को भंडारा लगाया जा रहा है।