जींद में कोविड ड्यूटी लगाने से पहले अध्यापकों का किया जाए टीकाकरण

कोरोना संक्रमण के बीच गांवों में लोगों को जागरूक करने के लिए और डोर टू डोर सर्वे में शिक्षकों की बिना वैक्सीनेशन ड्यूटी लगाए जाने पर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने विरोध जताया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 07:25 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 07:25 AM (IST)
जींद में कोविड ड्यूटी लगाने से पहले अध्यापकों का किया जाए टीकाकरण
जींद में कोविड ड्यूटी लगाने से पहले अध्यापकों का किया जाए टीकाकरण

जागरण संवाददाता, जींद : कोरोना संक्रमण के बीच गांवों में लोगों को जागरूक करने के लिए और डोर टू डोर सर्वे में शिक्षकों की बिना वैक्सीनेशन ड्यूटी लगाए जाने पर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने विरोध जताया है। पूरे प्रदेश में सात हजार से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी बिना सुरक्षा उपकरणों और वैक्सीनेशन के इस कार्य के लिए लगाई गई है। अध्यापक संघ ने शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग समेत कई सीनियर अधिकारियों को पत्र भेजकर विरोध जताया है।

जिला प्रधान साधुराम ने कहा कि महामारी के इस संकट में अध्यापक हर तरह का सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन पहले उनका वैक्सीनेशन कराया जाए। यदि बिना वैक्सीनेशन ड्यूटी कराई गई तो इसका विरोध किया जाएगा। इस संबंध में जिला केंद्र जींद की एक वर्चुअल बैठक की गई। जिसमें कहा गया कि गांवों में घर-घर सर्वे के लिए जो टीम बनाई गई है, उसमें शामिल अन्य सदस्य आशा वर्कर, आंगनबाड़ी वर्कर, एएनएम को काफी समय पहले वैक्सीन दी जा चुकी है।

जिला सचिव संजीव सिगला ने कहा कि कोरोना के चलते शिक्षा विभाग के कई कर्मचारियों की जान जा चुकी है। इसके बावजूद सरकार वैक्सीनेशन की दो डोज के बिना, उचित सुरक्षा उपकरणों और बिना उचित प्रशिक्षण के अध्यापकों को मौत के मुंह में धकेलने पर आमादा है। सरकार द्वारा कुछ जिलों में अध्यापकों की ड्यूटी कोविड सैंपलिग में लगाई गई है, जिसमें वह सक्षम नहीं हैं।

------------ अध्यापकों की प्रमुख मांगें

-अध्यापकों को फ्रंट लाइन वर्कर्स का दर्जा देते हुए महामारी की चपेट में आने पर इलाज का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाए।

-कोरोना संक्रमण के चलते किसी अध्यापक की मृत्यु हो जाने पर एक करोड़ रुपये की सहायता राशि मिले।

-ड्यूटी से पहले सभी अध्यापकों का टीकाकरण किया जाए।

-निजी सुरक्षा उपकरण पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर उपलब्ध करवाए जाएं।

-जिस किसी अध्यापक के परिवार का सदस्य कोरोना पीड़ित है या महामारी के कारण काल का ग्रास बन गया है, उन्हें ड्यूटी से छूट प्रदान की जाए।

-अध्यापकों की सेवाएं आवास स्थल के आसपास ही ली जाएं।

-ऐसे अध्यापकों को अन्य विभागीय ड्यूटियों से मुक्त किया जाए।

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