गीता से क्रांतिकारियों ने दृढ़ इच्छाशक्ति एवं आत्मबल प्राप्त किया : मिश्र

अंतरराष्ट्रीय श्रीमद्भावगत गीता जयंती समारोह एवं भारतीय आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में गुरुकुल कालवा में कार्यक्रम का आयोजन किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 05:22 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 05:22 PM (IST)
गीता से क्रांतिकारियों ने दृढ़ इच्छाशक्ति एवं आत्मबल प्राप्त किया : मिश्र
गीता से क्रांतिकारियों ने दृढ़ इच्छाशक्ति एवं आत्मबल प्राप्त किया : मिश्र

जागरण संवाददाता, जींद : अंतरराष्ट्रीय श्रीमद्भावगत गीता जयंती समारोह एवं भारतीय आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में गुरुकुल कालवा में कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र मुख्य अतिथि के रूप में हुए उपस्थित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरुकुल कालवा के आचार्य राजेंद्र ने की। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग है। भारत की धरती के जितनी भक्ति और मातृ-भावना उस युग में थी, उतनी कभी नहीं रही। मातृभूमि की सेवा और उसके लिए मर-मिटने की जो भावना उस समय थी, वह श्रीमद्भगवद्गीता से प्रेरित थी। कार्यक्रम में गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने ने देशभक्ति से ओतप्रोत रचनायें प्रस्तुत कर वातावरण की देशभक्तिमय कर दिया। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने आजादी के आंदोलन में सर्वप्रथम स्वदेशी एवं स्वराष्ट्र का उदघोष किया। स्वामी दयानंद कृत सत्यार्थ प्रकाश से क्रांतिकारियों भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण प्रेरणा प्राप्त की।

गुरुकुल कालवा के आचार्य राजेंद्र ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चितक, समाज सुधारक और देशभक्त थे। मातृभूमि भारत को गुलामी से मुक्ति का उपाय संपूर्ण भारतीयों की एक ही सोच हो और वह हो वेदों पर आधारित है। स्वामी दयानंद ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन की 1857 में हुई क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भगतसिंह, आजाद भी स्वामीजी से प्रेरित थे। लोकमान्य तिलक ने भी उन्हें स्वराज का पहला संदेशवाहक कहा था।

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