पेड़-पौधों से मालामाल हो रही रामराय पंचायत
पेड़-पौधे पर्यावरण को संरक्षित रखने के साथ हमें आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाते हैं। जिले के गांव रामराय की पंचायत भी पेड़ों से मालामाल हो रही है।
जागरण संवाददाता, जींद
पेड़-पौधे पर्यावरण को संरक्षित रखने के साथ हमें आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाते हैं। जिले के गांव रामराय की पंचायत भी पेड़ों से मालामाल हो रही है। गांव की जागरूक पंचायत ने 25 साल पहले पंचायती जमीन पर पौधे लगाए थे। पिछली पंचायत ने उनको करीब 70-80 लाख रुपये में बेचा था। इन पेड़ों के अलावा अभी करीब 20 सफेदे के पेड़ खड़े हैं।
सरपंच कुलदीप बताते हैं कि 25 साल पहले सरपंच राजेंद्र कुमार ने पंचायती जमीन पर पौधे लगवाए थे। पेड़ बनने पर पिछली पंचायत ने इनको बेच दिया था। इससे पंचायत के खाते में काफी फंड आ गया था, जिससे गांव के विकास में काफी मदद मिली। करीब नौ साल पहले रामराय नहर से लेकर बागवानवाला गांव तक करीब 35 एकड़ जमीन में 20 हजार सफेदे के पौधे लगाए गए थे, जो अब पेड़ बन चुके हैं। पंचायत इन पेड़ों को बेचकर नए सिरे से पौधरोपण करना चाहती है ताकि गांव के विकास के लिए रुपया मिल सके। इन पौधों की कीमत करोड़ों रुपये की है। लेकिन कानूनी अड़चन के कारण एक साथ इतने पौधे बेचने की मंजूरी नहीं मिल पा रही है। सरपंच कुलदीप ने बताया कि गांव की बणी व गांव के साथ लगती शामलात जमीन पर भी पौधे लगाए गए हैं, जो अब छाया देने लग गए हैं। गांव के लोग पौधरोपण के प्रति काफी जागरूक हैं। उनके कार्यकाल में भी करीब 2000 पौधे लगवाए जा चुके हैं। पंचायत ने इस मानसून में भी करीब पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है और वन विभाग से पौधों की मांग की है। गांव के आसपास पेड़ों की संख्या ज्यादा होने से पर्यावरण काफी साफ-सुथरा है। गांव में प्रदूषण बहुत कम है।
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दूसरी पंचायतें भी आगे आएं
मंडल वन अधिकारी रोहताश बिरथल कहते हैं कि पंचायती व शामलात जमीन पर पौधे लगाकर गांव को हरा-भरा बनाने व पर्यावरण संरक्षित रखने के लिए दूसरी पंचायतों को भी पहल करनी चाहिए। इससे पंचायतें आर्थिक रूप से भी समद्ध होंगी और गांव के आसपास का वातावरण भी शुद्ध रहेगा। रूपगढ़ पंचायत ने भी काफी जमीन पर पौधे लगा रखे हैं, जिससे आसपास का पर्यावरण काफी शुद्ध है।