नगर परिषद में खींचतान, शहर में एक साल से नए विकास कार्यो पर ब्रेक

जींद शहर में विधानसभा चुनाव से पहले विकास कार्यों पर जो ब्रेक लगा था। वो

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 06:40 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 06:40 AM (IST)
नगर परिषद में खींचतान, शहर में एक साल से नए विकास कार्यो पर ब्रेक
नगर परिषद में खींचतान, शहर में एक साल से नए विकास कार्यो पर ब्रेक

जागरण संवाददाता, जींद : शहर में विधानसभा चुनाव से पहले विकास कार्यों पर जो ब्रेक लगा था। वो एक साल बाद भी नहीं हट पाया है। करीब 15 करोड़ रुपये के कार्य जो हाउस की मीटिग में पास हुए थे। उन पर काम शुरू नहीं हो पाया है। इनमें सेक्टरों के पार्कों में ओपन जिम, जिन चौक का नामकरण महापुरुषों के नाम पर किया गया था उनका जीर्णोद्धार, गलियों का निर्माण मुख्य तौर पर शामिल है। नगर परिषद प्रधान और ईओ के बीच खींचतान चल रही है। जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। 17 जुलाई को एक फाइल पर हस्ताक्षर करने को लेकर प्रधान पति बीजेपी नेता जवाहर सैनी और पार्षद काला सैनी का ईओ डा. एसके चौहान के साथ विवाद हुआ था। तब प्रधान खेमे के पार्षदों ने आरोप लगाया था कि ईओ फाइलों पर जान बूझकर हस्ताक्षर नहीं कर रहे। जिससे विकास कार्य रुक रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ईओ ने प्रधान पति पर गलत काम कराने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था। ये विवाद अब भी जारी है। ईओ की शिकायत पर जवाहर सैनी और पार्षद काला सैनी के खिलाफ सिविल लाइन थाना में मामला दर्ज है। विवाद के बाद ईओ की जींद से टोहाना ट्रांसफर हो गई थी। जिसके खिलाफ ईओ हाइकोर्ट चले गए थे। जहां से ईओ को स्टे मिला हुआ है और मामले की सुनवाई चल रही है।

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ये भी बड़ी वजह : विधायक और जवाहर सैनी में टकराव

बीजेपी पूर्व प्रदेश सचिव जवाहर सैनी सीएम के करीबी होने के चलते बीजेपी सरकार के पहले कार्यकाल में शहर में अमरूत योजना, शॉपिग कॉम्प्लेक्स, नगर परिषद का नया भवन, अटल पार्क, रेलवे की जमीन पर पार्कों का निर्माण, मुख्य मार्गों पर एलईडी लाइट समेत कई बड़े प्रोजेक्ट वे लेकर आए। वहीं शहर की बड़ी संख्या में गलियों का निर्माण भी हुआ। उप चुनाव के बाद विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा के साथ उनका टकराव शुरू हुआ। मिढ़ा नगर परिषद के कामों पर सवाल उठाने लगे। आम चुनाव में दोबारा विधायक बनने के बाद मिढ़ा ने खुले तौर पर नगर परिषद में विकास कार्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू कर दिए। नगर परिषद में क्या भ्रष्टाचार हुए, इसकी ना तो जांच हुई और ना ही कुछ निकल कर सामने आया। लेकिन शहर के विकास कार्य जरूर ठप हो गए।

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नहीं लग पाई आंबेडकर की आदम कद प्रतिमा

रानी तालाब पर डा. भीमराम आंबेडकर की प्रतिमा बार-बार खंडित हो जाती थी। समाज के लोगों की मांग पर नगर परिषद ने यहां अष्ट धातु आदम कद प्रतिमा लगाने का फैसला किया। करीब 800 किलोग्राम की ये प्रतिमा बनाने के लिए नगर परिषद ने टेंडर भी कर दिए थे। लेकिन ये काम भी आपसी खींचतान की भेंट चढ़ गया। कई माह बीत जाने के बाद भी प्रतिमा स्थापित नहीं हो पाई। यहां केवल ढांचा बना हुआ है। समाज के लोग कई बार प्रतिमा स्थापित होने में हो रही देरी का मामला उठा चुके हैं।

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कुछ लोग शहर के विकास में बन रहे बाधा : पूनम सैनी

नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी ने कहा कि उनके कार्यकाल में जींद शहर में जितना काम हुआ, इससे पहले कभी नहीं हुआ। सरकार से नए-नए प्रोजेक्ट लेकर आए, जिनके पूरा होने से शहर की तस्वीर बदली नजर आएगी। उन्होंने विधायक मिढ़ा और ईओ का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोगों की वजह से पिछले एक साल से विकास कार्य रुके हुए हैं। हाउस की मीटिग में जो पिछले साल करोड़ों रुपये के काम मंजूर हुए थे, वे भी इसी वजह से शुरू नहीं हो पाए।

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आंबेडकर की प्रतिमा जल्द स्थापित होगी : ईओ

ईओ डा. एसके चौहान ने बताया कि डा. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा बनाने के लिए टेंडर दिया जा चुका है। जल्द समाज के कुछ लोग जाकर प्रतिमा का क्या स्वरूप होगा, फाइनल कर देंगे। उसके बाद प्रतिमा तैयार करा कर जल्द स्थापित कराई जाएगी। शहर के चौक का जीर्णोद्धार का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। पिछले साल हाउस की मीटिग के समय वे जींद नगर परिषद में नही थे।

------------------------- डेढ़ महीने करोड़ों के बिल अटके रहे

जींद : नगरपरिषद के ईओ और प्रधान पति के बीच विवाद के बाद नगर परिषद के रूटीन के काम भी प्रभावित हुए। ईओ की ट्रांसफर के मामले में हाइकोर्ट में सुनवाई चल रही थी। प्रधान ये कह कर फाइलों पर हस्ताक्षर करने से इंकार करती रही कि ईओ डा. एसके चौहान का ट्रांसफर हो चुका है। बिलों पर प्रधान के हस्ताक्षर के साथ ईओ के हस्ताक्षर भी जरूरी हैं। जबकि ईओ डा. एसके चौहान कार्यालय आकर रूटीन की सभी फाइलों पर हस्ताक्षर करते रहे। 11 अगस्त से 22 सितंबर तक करीब 10 करोड़ रुपये के भुगतान रुके रहे। जिनमें करीब एक करोड़ रुपये वेतन और ठेकेदारों के बिलों के नौ करोड़ रुपये शामिल थे। 50 लाख रुपये के बिलों का भुगतान नहीं होने पर ठेकेदार ने अटल पार्क का निर्माण कार्य बीच में रोक दिया। प्रधान के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण नगर परिषद के 300 के लगभग कर्मचारियों को अगस्त के वेतन के लिए तीन सप्ताह से ज्यादा समय इंतजार करना पड़ा। वहीं ठेकेदार भी बिल पास कराने के लिए चक्कर काटते रहे। सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईओ के ट्रांसफर पर 26 अक्टूबर तक स्टे कर दिया। जिसके बाद प्रधान ने बिलों पर हस्ताक्षर किए। दो-तीन दिन पहले प्रधान के हस्ताक्षर होने के बाद कुछ बिल निकले हैं।

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