सिविल अस्पताल में दवा के बजाय मिल रहा दर्द

सोमवार सुबह के साढ़े 9 बजे हैं। जींद के नागरिक अस्पताल में पर्ची बनवाने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लगी है। सभी 4 काउंटरों पर महिलाओं और पुरुषों की भारी भीड़ है। पर्ची बनवाने के लिए जद्दोजहद। किसी तरह ओपीडी काउंटर पर पर्ची बनी। उसके बाद भीड़ से निकल लिए चिकित्सक के कमरे की तरफ। यहां पर चिकित्सक के कमरे के आगे भी उतनी ही लंबी लाइन जितनी कि ओपीडी की थी। इलाज के लिए पहुंचे मरीज का मनोबल यहीं पर टूट जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 09:23 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 09:23 AM (IST)
सिविल अस्पताल में दवा के बजाय मिल रहा दर्द
सिविल अस्पताल में दवा के बजाय मिल रहा दर्द

जागरण संवाददाता, जींद : सोमवार सुबह के साढ़े 9 बजे हैं। जींद के नागरिक अस्पताल में पर्ची बनवाने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लगी है। सभी 4 काउंटरों पर महिलाओं और पुरुषों की भारी भीड़ है। पर्ची बनवाने के लिए जद्दोजहद। किसी तरह ओपीडी काउंटर पर पर्ची बनी। उसके बाद भीड़ से निकल लिए चिकित्सक के कमरे की तरफ। यहां पर चिकित्सक के कमरे के आगे भी उतनी ही लंबी लाइन, जितनी कि ओपीडी की थी। इलाज के लिए पहुंचे मरीज का मनोबल यहीं पर टूट जाता है। चिकित्सक के कक्ष के बाहर काफी देर लाइन में लगने के बाद किसी तरह नंबर आया और चिकित्सक ने जांच कर पर्ची पर दवाई लिख दी और कहा कि नीचे से दवाई ले लो। मरीजों ने थोड़ी राहत की सांस ली कि अब दवाई लेते ही घर चले जाएंगे। लेकिन उनकी सांसें फिर से फूल गई, जब दवाई के लिए भी उतनी ही लंबी लाइन दिखी।

लाइन में लगे मरीजों को दवा मिलने के बाद लगता है कि उसने जंग जीत ली है। सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग और महिला रोगियों को उठानी पड़ रही है। दैनिक जागरण ने मरीजों से बात की तो कहा कि यहां मरीजों को दवा की बजाय दर्द ही मिल रहा है। लाइन में ही घंटों बीत रहे हैं। पहले ओपीडी की लाइन, फिर चिकित्सक के कमरे के आगे लाइन और उसके बाद दवाई लेने के लिए भी लाइन।

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चिकित्सकों की कमी पूरी हुए बिना नहीं होगी भीड़ कम

जींद के नागरिक अस्पताल में जो यह लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं, यह सब चिकित्सकों की कमी की वजह से ही लग रही हैं। अस्पताल में सामान्य दिनों में जहां 1200 के आसपास ओपीडी होती हैं, वहीं सोमवार को ओपीडी की संख्या 1400 के करीब चली जाती हैं। अस्पताल में चिकित्सकों के 60 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, ऐसे में जो चिकित्सक तैनात हैं, उन पर अतिरिक्त ओपीडी की दबाव रहता है और इसके कारण लाइनें लंबी हो जाती हैं।

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रीढ़ की हड्डी में दिक्कत है, इलाज के लिए नागरिक अस्पताल में पहुंची थी। सुबह 9 बजे से लाइन में खड़ी है। 10 बजे ओपीडी की पर्ची बनी। उसके बाद चिकित्सक के कक्ष के आगे भी करीब 15 मिनट तक लाइन में खड़ी रही। फिर दवाई के लिए लाइन में लगने के कारण उसकी रीढ़ की हड्ड का दर्द और बढ़ गया।

-चंद्रपति, मरीज, पुलिस लाइन कॉलोनी।

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मेरे घुटने में दिक्कत है। इसके इलाज के लिए नागरिक अस्पताल पहुंचा था लेकिन यहां पर इतनी लंबी लाइन लगी थी कि आधे घंटे में तो पर्ची के लिए ही नंबर लग पाया। लाइन में खड़े-खड़े उसके घुटने में दर्द बढ़ गया। उसके बाद बैठकर आराम किया और फिर से चिकित्सक कक्ष के बाहर लाइन में लगना पड़ा।

-रामफल, बड़ाला, बास।

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अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है, लेकिन जितने भी चिकित्सक उपलब्ध हैं, उनके सहारे व्यवस्था को मेंटेन किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन का प्रयास है कि मरीजों को बेहतर सुविधा मिले। अस्पताल में चिकित्सकों की नियुक्ति को लेकर भी मुख्यालय से पत्राचार किया जा रहा है।

-डा. राजेश भोला, डिप्टी एमएस, नागरिक अस्पताल।

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