गोपाल विद्या मंदिर में हुआ एक दिवसीय आचार्य दक्षता कार्यक्रम

जींद के गोपाल विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सोमवार को एक दिवसीय आचार्य दक्षता का आयोजन किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 08:20 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 08:20 AM (IST)
गोपाल विद्या मंदिर में हुआ एक दिवसीय आचार्य दक्षता कार्यक्रम
गोपाल विद्या मंदिर में हुआ एक दिवसीय आचार्य दक्षता कार्यक्रम

जींद (विज्ञप्ति) : गोपाल विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सोमवार को एक दिवसीय आचार्य दक्षता का आयोजन किया। दक्षता वर्ग का उद्देश्य सभी आचार्यों को विद्याभारती में प्रचलित शिक्षण पद्धति से परिचित कराना था। दक्षता वर्ग में प्रथम सत्र योग का रहा। इसमें शिक्षकों ने भिन्न-भिन्न योग व प्राणायाम क्रियाएं की। द्वितीय सत्र में सरस्वती वंदना का सामूहिक गायन किया गया।

तृतीय सत्र में विद्यालय के प्राचार्य बलबीर सिंह ने तनाव के कारण व निवारण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जहां ध्यान और प्राणायाम व्यक्ति को अंदर से मजबूती देते हैं, वहीं सैर व्यक्ति को बाहरी रूप से मजबूत करती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हम महापुरुषों की संगत में रहकर भी तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। चतुर्थ सत्र समता व खेल का रहा। पंचम सत्र में आचार्यो की विषयवार गट चर्चा हुई। इसमें सभी शिक्षकों ने विद्यार्थियों की पढ़ाई में आने वाली बाधाओं और उनके निवारण पर चर्चा की। छठे सत्र में सरला द्वारा'जो जैसा करेगा वैसा भरेगा' विषय पर कहानी प्रस्तुत की गई। सप्तम सत्र गीत का रहा जिसमें सभी शिक्षकों ने गीत का गायन किया। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सैनी, सचिव रमेश बंसल, कोषाध्यक्ष महेश सिघल मौजूद रहे।

सकारात्मक विचारों से मनुष्य होता पवित्र व समृद्ध : मुनि

संसू, नरवाना : जैन स्थानक में चल रहे चातुर्मास के दौरान पधारे अरूण मुनि महाराज ने कहा कि हर कार्य को आध्यात्मिक दृष्टि से करना चाहिए। धर्म के बिना कमाया गया धन, फलदायक नहीं होता। कर्मों की सीमा नहीं होती, इसलिए हर कर्म को सोच कर कमाओ। सुंदर विचारों का खजाना होने से आदमी पतित एवं समृद्ध होता है।

उन्होंने कहा कि नकारात्मक विचारों में जीना नारकीय होता है। शुभ विचारों के जादू से जीते जी स्वर्ग देखो। नकारात्मक विचारों से घर, समाज और राष्ट्र प्रदूषित होता है। दुनिया में सुख-दुख नहीं है, विचारों के कारण ही व्यक्ति सुखी-दुखी होता है। मुनि महाराज ने कहा कि नक्षत्र विज्ञान की बजाय विचार विज्ञान की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। नकारात्मक विचारों के कारण शरीर में बीमारियां उत्पन्न होती हैं। हमारे शरीर पर ग्रहों का प्रभाव सिर्फ 10 प्रतिशत और अच्छे विचारों का प्रभाव 90 प्रतिशत पड़ता है। कभी-कभी नकारात्मक विचारों का भी उपवास करना चाहिए। अच्छे विचारों से ही सारी शक्तियां नतमस्तक हो जाती हैं।

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