अष्टमी पर कन्याओं को भोजन करवाकर खोला व्रत

शारदीय नवरात्र की अष्टमी पर बुधवार सुबह श्रद्धालुओं ने कन्याओं को भोजन कराया व पूजा अर्चना कर व्रत समाप्त किए। कन्याओं को भोजन कराने के लिए श्रद्धालु उन्हें गली-गली ढूंढते नजर आए। कन्याओं को एकत्रित करने के लिए श्रद्धालुओं को भारी मशक्कत करनी पड़ी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 08:00 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 08:00 PM (IST)
अष्टमी पर कन्याओं को भोजन करवाकर खोला व्रत
अष्टमी पर कन्याओं को भोजन करवाकर खोला व्रत

जागरण संवाददाता, जींद : शारदीय नवरात्र की अष्टमी पर बुधवार सुबह श्रद्धालुओं ने कन्याओं को भोजन कराया व पूजा अर्चना कर व्रत समाप्त किए। कन्याओं को भोजन कराने के लिए श्रद्धालु उन्हें गली-गली ढूंढते नजर आए। कन्याओं को एकत्रित करने के लिए श्रद्धालुओं को भारी मशक्कत करनी पड़ी। उधर, शहर के विभिन्न मंदिरों में कन्याओं को सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र की अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मन्नतें पूरी करती हैं। यह भी मान्यता है कि जब तक कन्याओं को भोजन न कराया जाए तब तक व्रत सफल नहीं होता। इसी मान्यता के चलते बुधवार को सुबह श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों पर कन्याओं को भोजन कराया तथा अन्न प्रसाद के रूप में ग्रहण करके व्रत समाप्त किया। श्रद्धालु रविवार सुबह जहां कन्याओं को शीघ्र भोजन करा व्रत समाप्त कर अन्न ग्रहण करने को उतावले दिखे वहीं कन्याओं की कमी का उन्हें सामना करना पड़ा। कुछ लोगों को तो भोजन कराने के लिए कन्याएं न मिलने पर मंदिरों में सामूहिक रूप से भोजन कराकर काम चलाया। वहीं कुछ कन्याओं नेकई-कई घरों में भोजन किया। उधर, ऐतिहासिक जयंती मंदिर में आठवें नवरात्र पर हवन पूजन हुआ। ------------ महर्षि विद्या मंदिर में मनाया गया नवरात्रि महोत्सव महर्षि विद्या मंदिर में महर्षि महेश योगी द्वारा संचालित विश्व शांति आंदोलन की शाखा सहस्त्र शीर्षा देवी मंडल के स्थापना दिवस मनाया गया। इसमें एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब नवदुर्गा के नौ स्वरूपों में दर्शाया गया है। इस अवसर पर छोटी कन्याओं का पूजन कर व उन्हें उपहार से सम्मानित किया गया। स्कूल अध्यापिकाओं के लिए नवरात्रि पर डांडिया नृत्य का आयोजन भी किया गया। ------------- मां को पुकारो अबोध शिशु बन कर : शर्मा माता वैष्णवी धाम में प्रवचन करते हुए आचार्य पवन शर्मा ने कहा क मां को पुकारो अबोध शिशु बनकर, मां को आना ही होगा। उन्हें हमें अपने आंचल में छिपाना ही होगा। आचार्य ने कहा कि बच्चा यदि खिलौनों में लगा रहे तो मां निश्चित होकर अपना घर का काम समेटती रहती है। कितु बच्चा यदि उन खिलौनों को पटक कर एकमात्र मां के लिए व्याकुल होकर रोने लगे, केवल मां-मां पुकारे और किसी बात को सुनना ही ना चाहे तब मां भी अपना सब काम छोड़ दोड़ी चली आती है और उसके आंसू पौंछकर उसे तुरन्त अपने आंचल में छिपा लेती है।

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