नाटक हीरामल जमाल के माध्यम से दिया ¨हदू-मुस्लिम एकता का संदेश

अर्बन एस्टेट स्थित ऑन थियेटर ग्रुप सभागार में एक दिवसीय नाटक उत्सव का आयोजन किया गया। यह उत्सव दो स्तरों पर आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 12:44 AM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 12:44 AM (IST)
नाटक हीरामल जमाल के माध्यम से दिया ¨हदू-मुस्लिम एकता का संदेश
नाटक हीरामल जमाल के माध्यम से दिया ¨हदू-मुस्लिम एकता का संदेश

जागरण संवाददाता, जींद : अर्बन एस्टेट स्थित ऑन थियेटर ग्रुप सभागार में एक दिवसीय नाटक उत्सव का आयोजन किया गया। यह उत्सव दो स्तरों पर आयोजित किया गया। पहले स्तर में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अवर सचिव बीडी दास ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आगाज किया। बीडी दास ने रंगमंडल के सभी कलाकारों से परिचय किया तथा उनसे रंगमंच की बारीकियों की जानकारी ली। इस स्तर में लोक गायक बलवान ¨सह और रेनू दूहन ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

दूसरे सायंकालीन स्तर की अध्यक्षता डॉ. मंजू बाला ने क। इस स्तर में केंद्रीय सांस्कृति मंत्रालय के सहयोग से धनपत ¨सह सांगी के लिखित तथा डॉ. पवन आर्य के निर्देशित लोक नाटक हीरामल जमाल के जरिये ¨हदू मुस्लिम एकता का संदेश दिया गया। नाटक की कहानी सेठ हीरामल और उसके दोस्त कमरुद्दीन पठान से शुरू होती है। कमरुद्दीन अपने दोस्त हीरामल को कुरान की आयतें सिखाते हैं। एक दिन जब हीरामल गली से जा रहे होते हैं, तो वजीर की बेटी जमाल कुरान की आयतें पढ़ थी, लेकिन वह उनका गलत उच्चारण कर रही थी। हीरामल उसे सही उच्चारण सिखाते हैं। ऐसे में दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं, लेकिन बाद में राजा ने हीरामल को फांसी की सजा सुना दी। जमाल अपने दोस्त हीरामल की जमानत देकर उसे फांसी से बचा लेती है और मिसाल कायम करती है। इसी बीच हीरामल का पिता उसे जमाल के घर जाने से रोकता है। हीरामल अपने पिता को कहते हैं कि चोरी, जुआ, जामनी और पराई नार, इन चारों को छोड़ कर फिर कोन सी तकरार। नाटक में सच्चे प्रेम पर प्रकाश डाला गया है। लोक नाटक के माध्यम से बताया गया है कि किस प्रकार से हम समाज को नई दिशा दे सकते हैं। इस अवसर पर लोक गायक बलवान ¨सह, रेनू दूहन, कलिप सैनी, सुनीता रानी, मोहन आदि मौजूद रहे।

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