जलघर बनाने के लिए भूमि की तलाश नहीं हो रही पूरी

जींद स्वच्छ नहरी पेयजल उपलब्ध करवाने का प्रोजेक्ट भूमि नहीं मिलने के चलते

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 06:30 AM (IST)
जलघर बनाने के लिए भूमि की तलाश नहीं हो रही पूरी
जलघर बनाने के लिए भूमि की तलाश नहीं हो रही पूरी

जागरण संवाददाता, जींद : स्वच्छ नहरी पेयजल उपलब्ध करवाने का प्रोजेक्ट भूमि नहीं मिलने के चलते सिरे नहीं चढ़ पा रहा। विभाग भाखड़ा से नहर से पानी लाने के लिए जलघर के निर्माण के लिए पिछले दो साल से भूमि की तलाश कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई भी साइट तय नहीं हुई है। जनस्वास्थ्य विभाग शहर के साथ लगते गांवों में भूमि की तलाश कर रहा है, लेकिन डिमांड के अनुसार जमीन नहीं मिल रही। अब जनस्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक सूचना जारी करके जींद-पटियाला मार्ग पर जींद विधानसभा क्षेत्र के एरिया में 70 एकड़ जमीन की डिमांड की है। इस एरिया में रकबा छोटा होने के चलते एक ही व्यक्ति से 70 एकड़ जमीन मिलना मुश्किल हो रहा है। इसके लिए कई किसानों की जमीन को मिलाकर ही डिमांड पूरी हो सकती है। जहां पर किसान जमीन देने को तैयार हो जाते हैं, वहां पर कुछ किसान इंकार कर देते हैं। विभाग भी चाहता है कि जींद-पटियाला मार्ग के एक किलोमीटर के एरिया में ही यह जमीन उपलब्ध हो जाए, ताकि जलघर से शहर में पानी लाने के दौरान ज्यादा खर्च न हो। अगर जनस्वास्थ्य विभाग हांसी ब्रांच नहर से पानी देता है तो वहां पर 100 एकड़ के करीब जमीन की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि हांसी ब्रांच नहर में करीब एक माह में पानी आता है। अगर नरवाना के पास से निकल रही भाखड़ा नहर से पानी लाते हैं तो वहां पर कम जमीन की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि भाखड़ा नहर पूरे वर्ष पानी रहता है और छोटे जलघर से भी शहर के पानी की डिमांड पूरी हो सकती है।

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कुछ साइटों को मुख्यालय से नहीं मिली अप्रूवल

विभाग की तरफ से शहर के साथ लगते दूसरे गांवों की जमीन की तलाश करके मुख्यालय को भेजा था, लेकिन अब तक वहां से अप्रूवल नहीं मिली है और कई साइटों को मुख्यालय ने नकार दिया और उनकी फाइलों को वापस कर दिया। सरकार द्वारा जलघर निर्माण की मंजूरी देने के बावजूद भी लोगों को नहरी पेयजल का अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। कुछ सेक्टरों को छोड़कर शहर की सभी कालोनियों में ट्यूबवेलों का पानी सप्लाई किया जाता है। भूमिगत पानी का टीडीएस बहुत ज्यादा है, जो सेहत के लिए खतरनाक है। भूमिगत पानी में टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड) की मात्रा 900 से 2000 तक है। पानी में इतना टीडीएस सेहत के लिए खतरनाक होता है। पिछले दिनों गांव निर्जन, किनाना और ईटल खुर्द में जमीन देखी थी, लेकिन यह साइड भी सिरे नहीं चढ़ पाई। भाखड़ा नहर से पानी लाने के प्रोजेक्ट में करीब 45 किलोमीटर लंबी लाइन बिछानी पड़ेगी। भाखड़ा का पानी साफ होता है, इसलिए लोगों को ज्यादा स्वच्छ पानी मिलेगा। भाखड़ा नहर में लगातार पानी चलता रहता है।

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-वर्जन्

शहर को नहरी पेयजल देने की योजना जल्द ही सिरे चढ़ जाएगी। फिलहाल जमीन की तलाश जारी है। जींद-पटियाला मार्ग पर लगने वाले गांवों में जमीन की तलाश की जा रही है। जमीन मिलते ही जलघर का निर्माण शुरू हो जाएगा।

-संजय शर्मा, एक्सइएन जनस्वास्थ्य विभाग जींद।

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