हैप्पी बर्थ-डे जींद डिपो : 48 साल का हो गया रोडवेज का जींद डिपो

रोडवेज का जींद डिपो आज 4

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 06:00 AM (IST)
हैप्पी बर्थ-डे जींद डिपो : 48 साल का हो गया रोडवेज का जींद डिपो
हैप्पी बर्थ-डे जींद डिपो : 48 साल का हो गया रोडवेज का जींद डिपो

प्रदीप घोघड़ियां, जींद

रोडवेज का जींद डिपो आज 48 साल का हो गया है। 25 जनवरी 1973 को जींद डिपो अस्तित्व में आया था। इन 48 सालों में डिपो में काफी उतार-चढ़ाव आए। 80 महाप्रबंधक बदले, जिनमें 50 बार डिपो की कमान एचसीएस अधिकारी के हाथों में रही। कर्मचारियों के हक दिलवाने में भी जींद डिपो सबसे अग्रणी रहा है। हर बड़े आंदोलन की शुरूआत जींद से ही होती थी।

हरियाणा-पंजाब संयुक्त राज्य के समय जींद डिपो पटियाला डिपो के अंतर्गत आता था। एक नवंबर 1966 के बाद करनाल डिपो के कैथल सब डिपो के अंतर्गत जींद डिपो आया। अस्तित्व के समय जींद का बस अड्डा एक रुपया चौक से शिव चौक की तरफ जाते हुए झांझ गेट के पास होता था। शहर की आबादी बढ़ी तो गोहाना रोड पर नया बस अड्डा बना। अब पिडारा के पास नए बाईपास पर आधुनिक बस अड्डे का उद्घाटन हो चुका है, जहां मार्च महीने तक बसों का संचालन शुरू हो जाएगा। पुराने बस अड्डे पर केवल 9 बूथ थे, वर्तमान पर 14 और नए बस अड्डे पर 16 बूथ हैं।

घटती-बढ़ती रही है बसों की संख्या

जींद डिपो जब अस्तित्व में आया तो इसमें 120 बसें थी। 1989 में बसों की संख्या 300 तक पहुंच गई थी। उसके बाद नई बसें शामिल नहीं हो पाई और हर साल बसों की संख्या घटती गई। 1999 तक बसों की संख्या 200 ही रह गई। 2002 में चौटाला सरकार के शासनकाल में बसों की संख्या फिर से 300 के करीब पहुंच गई थी। फिलहाल जींद डिपो में 175 बसें चल रही हैं।

आंदोलनों का गढ़ रहा है डिपो

कर्मचारियों के हकों की लड़ाई के लिए जब भी बड़े आंदोलन हुए तो उन सभी आंदोलनों का सेंटर प्वाइंट जींद डिपो रहा। हर बार चक्का जाम की शुरूआत जींद से ही होती थी। डिपो में पहली बड़ी हड़ताल 1979 में हुई थी। उसके बाद दूसरी बड़ी हड़ताल 1993 में प्राइवेट बसों को परमिट देने के विरोध में हुई, जो 11 दिनों तक चली थी। अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल 2018 में हुई है, जो 18 दिनों तक चली थी।

कर्मचारियों का हक दिलवाने में भी डिपो आगे

रोडवेज कर्मचारियों को उनका हक दिलवाने में भी जींद डिपो अग्रणी रहा है। रोडवेज के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करवाने, कर्मचारियों को उनकी स्पेशल पेंशन वृद्धि करवाने और 15 की जगह 29 आकस्मिक अवकाश दिलवाने का श्रेय जींद डिपो को जाता है। कर्मचारियों के 29 आकस्मिक अवकाश होते हैं, यह उन्हें पता ही नहीं था, डिपो में कर्मचारी महासंघ के डिपो प्रधान परिचालक अनूप लाठर द्वारा लेटर निकाल कोर्ट में केस दायर किया, उसके बाद यह अवकाश मिलने शुरू हुए।

जेसी परमार बने थे पहले महाप्रबंधक, वर्तमान में बिजेंद्र हुड्डा

जींद डिपो के सबसे पहले महाप्रबंधक जेसी परमार बने थे। उसके बाद करीब 80 महाप्रबंधकों ने जींद डिपो की कमान संभाली। वर्तमान में एचसीएस बिजेंद्र हुड्डा डिपो के महाप्रबंधक हैं। बिजेंद्र हुड्डा ने भी सभी कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि आम जनता को यूं ही बेहतर सुविधाएं देते रहें। बस अड्डे पर एडवांस बुकिग से लेकर यात्रियों के बैठने के लिए बेहतर व्यवस्था है।

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