हरियाणा के पहलवान कृष्ण का खुद का सपना टूटा तो छेड़ दी मुहिम, सैकड़ों बच्चों को बना दिया चैंपियन

हरियाणा के जींद जिले के गांगोली गांव के पहलवान कृष्ण चैंपियन बनना चाहते थे लेकिन 16 की उम्र में ही उनके घुटनों में चोट आ गई। इसके कारण वह खुद तो चैंपियन नहीं बन सके लेकिन आज सैंकड़ों बच्चों को प्रशिक्षण देकर वह उन्हें चैंपियन बना चुके हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 01:43 PM (IST) Updated:Tue, 27 Oct 2020 09:36 AM (IST)
हरियाणा के पहलवान कृष्ण का खुद का सपना टूटा तो छेड़ दी मुहिम, सैकड़ों बच्चों को बना दिया चैंपियन
बच्चों को प्रशिक्षण देते पहलवान कृष्ण। जागरण

जींद [प्रदीप घोघड़ियां]। कुश्ती के खेल में वह अच्छा खिलाड़ी थेे, लेकिन खेलते समय घुटने की इंजरी के कारण खेल से दूर होना पड़ा। वह खुद नेशनल चैंपियन नहीं बन पाए, लेकिन उन्होंने बच्चों को कबड्डी और कुश्ती की ट्रेनिंग दे नेशनल चैंपियन बना दिया। हम बात कर रहे हैं गांगोली गांव के पहलवान कृष्ण की। निजी कोचिंग अकादमियों और अखाड़ों द्वारा उनके बच्चों को सिखाने के लिए कृष्ण को 50 हजार रुपये तक की नौकरी का आफर मिला, लेकिन उन्होंने इसको ठुकराकर गांव और आसपास के बच्चों को फ्री में कबड्डी-कुश्ती के गुर सिखाने शुरू कर दिए।

आचार्य बलदेव को गुरु मानने वाले गांगोली गांव के 49 वर्षीय कृष्ण 16 साल की उम्र में ही कुश्ती के दंगल में उतर गए थे। आचार्य के कहने पर गांगोली से धड़ौली गौशाला में आकर प्रेक्टिस करने लगे। उसी दौरान कृष्ण को खेलते समय घुटने में चोट लगी और उनके लिगामेंट टूट गए। उन्हें कुश्ती छोड़नी पड़ी। वह अखाड़े में आने वाले बच्चों को प्रेक्टिस करवाते थे तो किसी ने कमेंट कर कह दिया कि यह गरीब बच्चे कौन से मेडल लेकर आएंगे।

बच्चों को प्रशिक्षण देते पहलवान कृष्ण। जागरण

यह बात कृष्ण को चुभ गई। ऐसे तंज के बाद उन्होंने गरीब बच्चों को ही तराशने के का निर्णय लिया, जो बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर थे, लेकिन शारीरिक रूप से फिट और मेहनती थे, उनकी तैयारी शुरू करवाई। सागर, रॉबिन जैसे गरीब परिवार के बच्चों को कुश्ती में नेशनल लेवल तक पहुंचाकर उन्होंने लोगों की धारणा को गलत साबित कर दिया।

पहलवान कृष्ण। जागरण

बेटियों को पहुंचाया कबड्डी के शिखर पर

कृष्ण ने उस समय बेटियों को कबड्डी के गुर सिखाना शुरू किया था जब लोग बेटियों को घर से बाहर भेजने के पक्ष में नहीं थे। अभिभावकों को विश्वास में ले बेटियों को कबड्डी की प्रेक्टिस शुरू करवाई। खुद भूखे रहकर भी मेहनत कर उन्होंने गांगोली की कबड्डी टीम को पूरे देश में नंबर वन बना दिया। इसके बाद धड़ौली, भाग खेड़ा, मोरखी, आसन, सिवाहा, भिड़ताना, पिल्लूखेड़ा, कालवा, मंडी, जामनी, सरड़ा, रजाना, बेरी खेड़ा के 250 से ज्यादा बच्चे उनसे प्रशिक्षण लेने के लिए आने लगे।

बच्चों के साथ पहलवान कृष्ण। जागरण

नौकरी का ऑफर ठुकराया

गांगोली की कबड्डी टीम को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के बाद उनके पास निजी कबड्डी और कुश्ती एकेडमियों से नौकरी के आफर आने लगे। रोहतक के रामकरण अखाड़ा, पंजाब, भिवानी समेत जींद के भी एक बड़े खेल स्कूल ने उन्हें 50 हजार रुपये प्रतिमाह का ऑफर देते हुए उनके बच्चों को कबड्डी के गुर सिखाने के लिए कहा, लेकिन कृष्ण ने उस आफर को ठुकरा दिया और वह आज भी बच्चों को फ्री में कुश्ती का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

60 से ज्यादा बच्चे कर रहे सरकारी नौकरी

कृष्ण पहलवान से प्रशिक्षण लेकर गांगोली के अनूप कुमार भारत केसरी बने तो 60 से ज्यादा खिलाड़ी खेल कोटे से रेलवे, आर्मी, पुलिस, पीटीआइ, डीपीई जैसे भर्ती हो सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। कृष्ण फिलहाल पिल्लूखेड़ा-भुरायण में बच्चों को कुश्ती के गुर सिखा रहे हैं। कृष्ण का कहना है कि उन्होंने गरीबी देखी है, इसलिए उनका मकसद है कि कोई भी गरीब परिवार का बच्चा प्रशिक्षण के अभाव में खेल न छोड़े।

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