सरकार ने नगर परिषद से दुकानों के आगे खाली जमीन की मांगी रिपोर्ट
जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश सरकार ने नगर परिषद से बाजार में दुकानों के आगे खाली पड़ी
जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश सरकार ने नगर परिषद से बाजार में दुकानों के आगे खाली पड़ी जमीन की फिजिबिलिटी रिपोर्ट मांगी है। बताया जा रहा है कि दुकानदारों ने सरकार से दुकानों के आगे खाली पड़ी जमीन को कलेक्टर रेट पर देने की मांग की थी। जिसके चलते सरकार ने नगर परिषद को इस संबंध में पत्र जारी कर जानकारी मांगी है कि उनके यहां ऐसी कितनी जमीन है।
सरकार के इस फैसले का विरोध जताते हुए सामाजिक संस्था अन्ना टीम के सदस्य सुनील वशिष्ठ ने बताया कि पांच साल पहले हनुमान गली से चबूतरे हटाकर नाली पीछे बनाकर बाजार खुले करने की मुहिम नगर परिषद ने शुरू की थी। यह मुहिम तांगा चौक, मेन बाजार, गांधी गली, पालिका बाजार, पंजाबी बाजार, साड़ी मार्केट, जनता बाजार, इंद्रा बाजार, अनाज मंडी के पीछे चक्र रोड हर जगह कामयाब रही। लेकिन पुरानी अनाज मंडी में पहुंच कर बंद हो गई। पिछले लंबे समय से घंटा घर पर लगे जाम से मुक्ति पाने के लिए यहां बंद पड़ी प्याऊ को हटवाने के लिए मुहिम चलाई जा रही है। कई बार नगर परिषद और प्रशासन से आग्रह भी किया, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो एसडीएम कोर्ट में अपील की। नगर परिषद ने जवाब देते हुए स्वीकार किया कि प्याऊ अवैध रूप से सड़क पर बनाया गया है, जिसकी आड़ लेकर साथ लगते दुकानदारों ने दुकानें आगे तक बढ़ा ली। दुकानदारों ने जमीन नगर परिषद से खरीदने का दावा किया, लेकिन एसडीएम कोर्ट में जमीन की कोई रजिस्ट्री पेश नहीं कर सके। नगर परिषद ने घंटा घर, इंद्रा बाजार और जनता बाजार वाली सड़क की जगह को बेचने का प्रयास किया, तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
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सरकार ने मांगी है जानकारी
नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी ने बताया कि सरकार की तरफ से पत्र आया है, जिसमें खाली जमीन की जानकारी मांगी गई है। जमीन खाली तो है, लेकिन इसे दुकानदारों को कलेक्टर रेट पर देने या नहीं देने का फैसला नगर परिषद नहीं कर सकती। ये काम सरकार का है। जिन लोगों ने 1991 में कलेक्टर रेट पर जमीन खरीदी थी, उन्हें रजिस्ट्री कराने के लिए कहा गया है।