सरकार और शिक्षा विभाग की उदासीनता से भंभेवा-अलीपुरा में कन्या पाठशाला हुई मर्ज

जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते जिले के दो गांव अली

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Oct 2018 11:35 PM (IST) Updated:Fri, 19 Oct 2018 11:35 PM (IST)
सरकार और शिक्षा विभाग की उदासीनता से भंभेवा-अलीपुरा में कन्या पाठशाला हुई मर्ज
सरकार और शिक्षा विभाग की उदासीनता से भंभेवा-अलीपुरा में कन्या पाठशाला हुई मर्ज

जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते जिले के दो गांव अलीपुरा और भंभेवा में राजकीय कन्या पाठशाला मर्ज हो गए। धरातल पर तो ये दोनों कन्या पाठशाला दो साल पहले मर्ज हो चुकी हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर अब इस पर मुहर लगी है।

अलीपुरा गांव में 1988 में लड़कियों के लिए अलग से प्राथमिक पाठशाला बनाई गई थी। शुरू में काफी संख्या में लड़कियां पढ़ने जाती थी। पांचवीं के बाद लड़कियां गांव के राजकीय माध्यमिक स्कूल में दाखिला लेती थी। लेकिन साल 2009-10 में माध्यमिक स्कूल में भी पहली कक्षा से लड़कियों के लिए दाखिला शुरू कर दिया गया। इस वजह से धीरे-धीरे कन्या पाठशाला में छात्राओं की संख्या कम होती गई। छात्र संख्या बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं किया गया और साल 2016 में छात्र संख्या 20 से कम रहने के कारण इस स्कूल को माध्यमिक स्कूल में मर्ज कर दिया गया। स्कूल के मर्ज होने के कारण इसके आसपास के क्षेत्र की बेटियों को करीब एक किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ता है।

कुछ इसी तरह की कहानी भंभेवा गांव के कन्या प्राथमिक स्कूल की है। यह स्कूल भी 2 साल पहले मर्ज हो चुका है। आबादी के हिसाब से बड़ा गांव होने के बावजूद स्कूल में छात्र संख्या 50 से भी कम रह गई थी। स्कूल में लगातार छात्राओं की संख्या कम होने का कारण स्कूल में पूरा स्टाफ नहीं होना रहा। इससे अभिभावकों का सरकारी स्कूल के प्रति रुझान कम होने लगा और वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजने लगे। स्कूल में दाखिले कम रहने के कारण अगस्त 2016 में इस प्राथमिक स्कूल को पास वाले स्कूल में मर्ज कर दिया गया। इसके बाद भी सरकार की तरफ से कन्या पाठशाला के नाम ग्रांट जारी हुई।

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विभाग जिम्मेदार

अलीपुरा गांव निवासी एडवोकेट सुनील दत्त का कहना है कि स्कूल बंद होने के लिए सरकार व शिक्षा विभाग जिम्मेदार है। स्कूल में एक या दो ही टीचर रहे। स्टाफ पूरा नहीं होने के कारण अभिभावकों ने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजना शुरू कर दिया।

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इन दोनों गांव के कन्या प्राथमिक स्कूलों में कोई बच्चा नहीं था। इस वजह से इन्हें नजदीक लगते स्कूल में मर्ज कर दिया गया है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से कब इनके नाम भेजे गए थे, सोमवार को कार्यालय खुलने के बाद ही स्पष्ट रूप से बता सकते हैं।

बीपी राणा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, जींद

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