ईश्वर को जानने की नहीं, अपितु मानने का करना चाहिए प्रयास : राजन महाराज
नरवाना भगवान का जन्म नहीं होता उनका तो प्राकट्य होता है। वह तो प्रकट होते हैं इसलिए जीवन में उनसे कभी कुछ मांगने की इच्छा हो तो धन संपदा की मांग से बेहतर है कि स्वयं उन्हें या उनकी भक्ति को ही मांग लिया जाए।
फोटो : 23 संवाद सूत्र, नरवाना : भगवान का जन्म नहीं होता, उनका तो प्राकट्य होता है। वह तो प्रकट होते हैं, इसलिए जीवन में उनसे कभी कुछ मांगने की इच्छा हो, तो धन संपदा की मांग से बेहतर है कि स्वयं उन्हें या उनकी भक्ति को ही मांग लिया जाए। यही वह प्रार्थना है, जिससे मानव जीवन कृतार्थ होने के साथ ही जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यह बात बाबा गैबी साहब परिसर में चल रही कथा के दौरान कथावाचक राजन ने प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि सर्वशक्तिमान ईश्वर को जानने नहीं, अपितु उन्हें मानने का प्रयास किया जाना चाहिए। क्योंकि हमारा यह मानना ही एक दिन जानने में परिवर्तित होकर हमें प्रभु का साक्षात्कार करवा सकता है। प्रभु सर्वव्यापी हैं और जिस तरह घर्षण से अग्नि उत्पन्न होती है। ठीक वैसे ही जब अपने अराध्य के भक्ति में उनके श्रीचरणों के वशिभूत होकर उनके साथ प्रेम का घर्षण करते हैं, तो वह अग्नि की तरह हमारे समक्ष प्रकट होकर जगत को आलोकित करने के साथ ही विश्व का कल्याण करते हैं। कथा में श्री रामा भारतीय कला केंद्र, भगवती क्लब, श्री श्याम प्रेरणा मंडल, मानव सेवा सोसायटी, श्री वैष्णो देवी दुर्गा जागरण मंडल, बांके बिहारी संकीर्तन मंडल, दुर्गा जागरण मंडल, भारत विकास परिषद संस्थाओं को सम्मानित किया गया। इस मौके पर रामकुमार गोयल, तेजवंत गोयल, नरेश गोयल, रमेश गोयल, कृष्ण गोयल, भारत भूषण गर्ग, कैलाश सिगला, पवन मित्तल, राकेश शर्मा, देवीराम गर्ग, तरसेम शर्मा, सुभाष चहल, रामफल मोर, सुभाष शास्त्री, जियालाल गोयल, सुभाष सिगला, दीपक मित्तल वविनोद मंगला मौजूद रहे।