कुर्सी की लड़ाई में विकास पर ग्रहण

जिला परिषद प्रधान व पार्षदों के जिला परिषद प्रधान व पार्षदों के बीच चल रही आपसी खींचतान से करोड़ों रुपये से गांवों में होने वाले काम ठप पड़े हैं। पिछले साल 24 जनवरी की मी¨टग में करीब सवा चार करोड़ रुपये के विकास कार्यो को मंजूरी दी गई थी लेकिन 13 महीने बीत जाने के बावजूद यह शुरू नहीं हो सके हैं। वहीं लिकर शेयर व सेल्फ फंड से होने वाले करीब दो करोड़ रुपये के काम भी सिरे नहीं चढ़ सके है

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 10:27 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 10:27 AM (IST)
कुर्सी की लड़ाई में विकास पर ग्रहण
कुर्सी की लड़ाई में विकास पर ग्रहण

जागरण संवाददाता, जींद : जिला परिषद प्रधान व पार्षदों के बीच चल रही आपसी खींचतान से करोड़ों रुपये से गांवों में होने वाले काम ठप पड़े हैं। पिछले साल 24 जनवरी की मी¨टग में करीब सवा चार करोड़ रुपये के विकास कार्यो को मंजूरी दी गई थी, लेकिन 13 महीने बीत जाने के बावजूद यह शुरू नहीं हो सके हैं। वहीं लिकर शेयर व सेल्फ फंड से होने वाले करीब दो करोड़ रुपये के काम भी सिरे नहीं चढ़ सके हैं। प्रधान पदमा ¨सगला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर हाईकोर्ट में मामला चल रहा है। इसमें शुक्रवार को कोर्ट द्वारा सुनवाई के लिए अगली तारीख 29 मार्च दे दी गई।

जनवरी 2018 में मंजूर हुए इन कामों में गांवों में गलियों का निर्माण, प्रत्येक गांव में बैठने के लिए बेंच, चौक-चौराहों पर लाइट, जिला परिषद के कार्यालय का सुधार, प्रधान के लिए आवास, पंचायत घरों के निर्माण व मेंटीनेंस आदि शामिल हैं।

सरकार नहीं करने दे रही काम

प्रधान पदमा ¨सगला के अनुसार सरकार के इशारे पर प्रशासन इन कामों को मंजूरी मिलने के बावजूद करने नहीं दे रहा है। वहीं जिला परिषद के खाते में 12-13 करोड़ की राशि है, जिससे स्कूलों की चहारदीवारी, स्कूल भवन की मेंटीनेंस, तालाबों के घाटों को पक्का करने, चौपाल निर्माण, आंबेडकर भवन, पुस्तकालय व काफी गलियों का निर्माण कराया जा सकता है, लेकिन ये काम राजनीतिक लड़ाई की भेंट चढ़ गए हैं।

राजनीति पड़ रही काम पर भारी

गौरतलब है कि जिला परिषद प्रधान पदमा ¨सगला व पार्षदों में लंबे समय से खींचतान चल रही है। पहले पदमा ¨सगला के पति विनोद ¨सगला केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र ¨सह के करीबी माने जाते थे। पदमा ¨सगला को जिला परिषद प्रधान बनाने में उनकी पत्नी विधायक प्रेमलता की अहम भूमिका रही थी, लेकिन बाद में उनके रिश्तों में खटास आ गई और विनोद ¨सगला की सांसद दुष्यंत चौटाला से नजदीकी बढ़ने लगी।

ऐन मौके पर रद की मीटिंग

पिछले साल 12 जनवरी को सरकार की तरफ से करीब चार करोड़ रुपये के बजट की चिट्ठी जिला परिषद के पास आई। इस बजट के वितरण के लिए प्रधान द्वारा मी¨टग बुलाई गई, लेकिन ऐन मौके पर सीइओ के किसी काम से बाहर जाने का हवाला देकर मी¨टग रद कर दी गई। इस मी¨टग को रद करवाने के पीछे पदमा ¨सगला ने केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र ¨सह व विधायक प्रेमलता का हाथ बताया। दोबारा 24 जनवरी को मी¨टग बुलाई गई, जिसमें पदमा ¨सगला के समर्थन में सांसद दुष्यंत चौटाला, सिरसा से सांसद चरणजीत रोड़ी व इनेलो के स्थानीय तीनों विधायक पहुंचे। इससे पदमा ¨सगला का बहुमत पूरा होने से उन्हें बजट बांटने का अधिकार मिल गया, लेकिन तत्कालीन सीइओ ने उनकी अनुपस्थिति में हुई मी¨टग पर सवाल उठाते हुए इसे अवैध करार दे दिया। जिसके बाद पदमा ¨सगला हाईकोर्ट में चली गई। मी¨टग को कोर्ट ने सही ठहराते हुए उनके पक्ष में फैसला दिया।

अविश्वास प्रस्ताव लाए

पार्षद विकास बूरा डैहर के नेतृत्व में विरोधी खेमे ने प्रधान पर विकास कार्यो में भेदभाव के आरोप लगाते हुए अगस्त में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए डीसी को शपथ पत्र सौंपे थे। अविश्वास प्रस्ताव पर वो¨टग के लिए डीसी की तरफ से चार सितंबर तारीख रखी गई, लेकिन वो¨टग के दिन डीसी के नहीं पहुंचने के चलते मी¨टग को रद कर दिया गया। बाद में वो¨टग के लिए तीन अक्टूबर का समय दे दिया गया। पदमा ¨सगला ने प्रशासन पर साजिश के तहत चार सितंबर की मी¨टग रद करने के आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला आने तक तीन अक्टूबर को अविश्वास प्रस्ताव पर कराई गई वो¨टग के परिणाम पर मामले की सुनवाई तक रोक लगा दी थी। तभी से ये मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

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सरकार नहीं चाहती कि जींद जिले में कोई काम हो। प्रशासन भी सरकार के दबाव में काम कर रहा है। 13 महीने पहले मंजूर हुए सवा छह करोड़ के काम प्रधान को नहीं कराने दिए जा रहे। चार सितंबर की मी¨टग इसलिए स्थगित की गई, क्योंकि उसके पास पूरा बहुमत था। जिसके बाद अविश्वास प्रस्ताव के लिए मी¨टग बुलाना गलत है। कोर्ट में मामला चल रहा है। उम्मीद है कि इस मामले में उसके पक्ष में फैसला आएगा और सच की जीत होगी।

पदमा ¨सगला, जिला प्रधान, जिला परिषद

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