जुलाना में 47 एमएम बरसात, 35 हजार गेहूं के बैग भीगे
जुलाना में शनिवार देर सायं 47 एमएम दर्ज की गई। एक दिन पहले शुक्रवार को भी 24 एमएम बरसात हुई थी। बारिश से कपास और गन्ने की बिजाई की कर रहे किसानों को तो फायदा हुआ लेकिन बरसात से अनाज मंडी में पड़ा गेहूं खराब हो गया।
संवाद सूत्र, जुलाना: जुलाना में शनिवार देर सायं 47 एमएम दर्ज की गई। एक दिन पहले शुक्रवार को भी 24 एमएम बरसात हुई थी। बारिश से कपास और गन्ने की बिजाई की कर रहे किसानों को तो फायदा हुआ, लेकिन बरसात से अनाज मंडी में पड़ा गेहूं खराब हो गया। लगातार दो दिन से हो रही बरसात से आढ़तियों को लाखों रुपयों का नुकसान हुआ है। आढ़तियों ने आरोप लगाया कि मंडी में बरसात के पानी की कोई भी निकासी व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते मंडी में दो फीट तक पानी खड़ा हो जाता है। मंडी में गेहूं के उठान का कार्य भी कछुआ चाल से हो रहा है, जिससे उठान कम होने का सीधा खामियाजा आढ़तियों को उठाना पड़ रहा है। एक आढ़ती का एक सीजन में कमीशन कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है। औसतन प्रति आढ़ती 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। आढ़तियों ने कहा कि मंडी में 20 दिन पहले खरीदे गए गेहूं की खरीद का भी उठान नहीं हो पाया है जिससे आढ़तियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मंडी में लगभग 35 हजार गेहूं के बैग व 1250 क्विंटल खुले में पड़ा गेहूं खराब हो गया। आढ़तियों की मांग है कि बरसात से हुए नुकसान के लिए आढ़तियों को मुआवजा दिया जाए ताकि आढ़ती आगे भी आर्थिक मंदी का शिकार ना हो और अपन परिवार का गुजर बसर कर सकें।
वर्जन
मंडी में उठान का कार्य सही ढंग से नही हुआ जिससे मंडी में पड़ा गेहूं बरसात से भीग गया। यह सब प्रशासन और सरकार की बेरुखी का नतीजा है। सरकार आढ़तियों को दबाना चाहती है। मंडी में निकासी व्यवस्था भी ठीक नहीं है, जिससे मंडी में कई फीट तक पानी भर जाता है। आढ़तियों की मांग है कि बरसात से हुए नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें आर्थिक मदद दी जाए।
-राजपाल लाठर, प्रधान, आढ़ती एसोसिएशन, जुलाना