अकेले भाग्य के भरोसे मत बैठो: मुनि अजीत
ामराय गेट स्थित जैन स्थानक में मुनि अजीत ने प्रवचन सभा में भगवान महावीर के उपदेश की चर्चा करते हुए कहा कि आप पुरुषार्थी बनिये भाग्य के भरोसे मत बैठे रहो।
जागरण संवाददाता, जींद : रामराय गेट स्थित जैन स्थानक में मुनि अजीत ने प्रवचन सभा में भगवान महावीर के उपदेश की चर्चा करते हुए कहा कि आप पुरुषार्थी बनिये, भाग्य के भरोसे मत बैठे रहो। हमारे भारत देश में भाग्य भरोसे ज्यादा विश्वास करते हैं, पुरुषार्थ पर कम। भगवान महावीर स्वामी का संदेश अनेकांत धर्म रहा है। अनेकांत का अर्थ एक चीज को अलग-अलग ²ष्टि से देखना।
उन्होंने बताया कि जैसे एक आदमी किसी की ²ष्टि से पिता है और किसी की ²ष्टि से पुत्र है, किसी की ²ष्टि से भाई है, पति है, पड़ोसी है। यही अनेकांत धर्म है। हम अकेले भाग्यवादी न बनें। पुरुषार्थ का अपना महत्व है। विचारक ने लिखा कि 99 प्रतिशत किसी सफलता में हमारे पुरुषार्थ का योगदान है और एक प्रतिशत भाग्य का योगदान है। एक कदम चलना पुरुषार्थ है तो एक कदम रखना भाग्य है।
उन्होंने कहा कि कोई अनहोनी हमारी जिदगी में हो जाती है तो हम सारा दोष भाग्य पर डाल देते हैं। बस इतना ही होता है। हमें सकून मिलता है। हम अपनी आदत नहीं सुधारते।
मुनि श्री ने कहा जहर पीने वाला कैसे बच सकता है। जहर पीने के लिए भाग्य ने कहा, शराब पीकर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना एक्सीडेंट को निमंत्रण देना है। इसमें भाग्य की क्या बात है। आदत आपकी खराब है और दोष सारा भाग्य किस्मत पर डाल देते हो। आओ कुछ आदत का परिवर्तन किया जाए। हमें अपनी बुरी आदतें ही परेशान करती हैं और अच्छी आदत में प्रसन्नता प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ वादी बनो, भाग्यवादी नहीं। हाथ पर हाथ रखकर बैठने से किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती। आप सामान्य सी बात पर गौर फरमाएं। रोटी खाने के लिए भी आपको पुरुषार्थ का परिचय देना होगा। अन्य कार्यों के लिए तो आपको और ज्यादा पुरुषार्थ का परिचय देना चाहिए। कहने का तात्पर्य आप अपनी जिदगी में पुरुषार्थ को महत्व दे और भाग्यवाद को नहीं।
इस अवसर पर प्रधान, पीसी जैन, सुरेश जैन, विनोद जैन, मनोज जैन, हरीश जैन, सतीश जैन, आनंद जैन, श्रीनिवास जैन, डीआर जैन, प्रकाश जैन, कैलाश जैन, नरेश जैन आदि उपस्थित रहे।