फसलों में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग न करें किसान : डा. सहरावत

जींद के उचाना के गांव पालवां में मंगलवार को इंप्रवूड क्राप प्रोडक्शन व कपास की खेती में प्रोटेक्शन टेक्नोलाजी पर संगोष्ठी हुई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 07:36 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 07:36 AM (IST)
फसलों में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग न करें किसान : डा. सहरावत
फसलों में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग न करें किसान : डा. सहरावत

जागरण संवाददाता, जींद : उचाना के गांव पालवां में मंगलवार को इंप्रवूड क्राप प्रोडक्शन व कपास की खेती में प्रोटेक्शन टेक्नोलाजी पर संगोष्ठी हुई। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से अनुसंधान निदेशक डा. सुरेंद्र सहरावत मुख्यातिथि रहे और शिक्षा विस्तार निदेशक डा. रामनिवास ने अध्यक्षता की। संगोष्ठी में 400 से ज्यादा किसानों ने हिस्सा लिया। डा. सुरेंद्र सहरावत ने किसानों को फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों का स्प्रे नहीं करने का आह्वान करते हुआ कहा कि इससे फसल पर लागत बढ़ने के साथ बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ता है। एक समय में एक से ज्यादा दवाइयों को मिलाकर भी स्प्रे ना करें। खाद भी संतुलित मात्रा में डालें।

डा. रामनिवास ने किसानों को कृषि विज्ञान केंद्रों में दी जाने वाली विभिन्न ट्रेनिग के बारे में बताया। जिनकी ट्रेनिग लेकर किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। एसोसिएट डायरेक्टर सुनील ढांडा और सेंट्रल इंस्टीट्यूट केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा के मुखिया डा. एसके वर्मा ने कपास की फसल के बारे में बताया। डा. मनमोहन सिंह ने कपास की फसल में लगने वाली बीमारियों और उनसे बचाव के बारे में बताया। फिलहाल कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप है। इसकी रोकथाम के लिए कौन से स्प्रे करें, इनके बारे में जानकारी दी गई। डा. ओमेंद्र सांगवान ने कपास की फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी और देखभाल के बारे में बताया। कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डा. बीपी राणा ने फसलों में सूत्रकर्मि बीमारी के लक्षण और उसकी रोकथाम के बारे में बताया। डा. आरडी पंवार ने बागवानी के बारे में किसानों को जानकारी दी।

मौके पर ही मिट्टी-पानी की जांच कर दी रिपोर्ट

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से मिट्टी-पानी जांच के लिए बस आई हुई थी। मौके पर ही किसानों को मिट्टी-पानी की जांच कर रिपोर्ट दी गई। किसानों को खेत में अपने ट्यूबवेल के पास लगाने के लिए अमरूद के पौधे दिए गए। वहीं महिला किसानों को सब्जियों के बीज दिए गए।

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