छह महीने का राशन लेकर निकले किसान, इवेंट मैनेजरों से भी बेहतर इंतजाम

पंजाब से दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों का प्रबंधन बड़े इवेंट मैनेजरों से भी बेहतर था। सर्दी से बचने का पूरा प्रबंध और अगले छह महीने का खाने-पीने का राशन लेकर किसान दिल्ली के लिए निकले थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 07:55 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 07:55 AM (IST)
छह महीने का राशन लेकर निकले किसान, इवेंट मैनेजरों से भी बेहतर इंतजाम
छह महीने का राशन लेकर निकले किसान, इवेंट मैनेजरों से भी बेहतर इंतजाम

कर्मपाल गिल, जींद:

पंजाब से दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों का प्रबंधन बड़े इवेंट मैनेजरों से भी बेहतर था। सर्दी से बचने का पूरा प्रबंध और अगले छह महीने का खाने-पीने का राशन लेकर किसान दिल्ली के लिए निकले थे। ट्रैक्टर-ट्रालियों में प्रबंधन इतना गजब का था कि लोग देखते ही रह गए थे। शहर और गांवों में लोगों ने काफिले में शामिल किसानों का उत्साह बढ़ाया।

अपनी जमीन छीनने और कंपनियों के गुलाम होने के डर से दिल्ली के लिए निकले किसान अगले छह महीने के खाने-पीने, रहने, सोने का प्रबंध करके घर से रवाना हुए। पंजाब-हरियाणा सीमा पर दातासिंहवाला बॉर्डर के पास सरदार जोगेंद्र सिंह उगराहां के नेतृत्व में लाखों किसानों का जत्था रवाना हुआ। पंजाब से कुल 31 जत्थों ने दिल्ली के लिए कूच किया। इनमें सबसे बड़ा जत्था सरदार जोगेंद्र सिंह उगराहां का था। उन्होंने खुद किसानों के साथ दाता सिंह वाला बॉर्डर से हरियाणा में इंट्री की। डबवाली बॉर्डर से हरियाणा में इंट्री करने वाला जत्था भी जोगेंद्र सिंह उगराहां का था। करीब डेढ़ लाख से ज्यादा इस जत्थे में शामिल थे। काफिले में हजारों ट्रैक्टर शामिल थे, जिनमें 90 फीसदी के पीछे दो ट्रालियां जुड़ी थीं। एक ट्राली राशन से भरी हुई थी, तो दूसरी ट्राली में किसान बैठे हुए थे। राशन में चावल, गेहूं का आटा, खांड, दाल, चाय, नमक सहित सब कुछ था। आटा खत्म हो जाने पर गेहूं भी साथ थे और पिसाई के लिए चक्की भी साथ ले रखी थी। पानी व तेल के टैंकरों से लेकर, गैस सिलेंडर, तंबू व टेंट का सामान, माइक, राशन पकाने के लिए लकड़ियां, नहाने का प्रबंध, रजाई, सोने के लिए ट्रालियों में गद्दे सहित सभी सामान साथ ले रखा था। --हर किसान से 100 रुपये चंदा

किसान आंदोलन को सफल बनाने के लिए पंजाब के हर गांव से चंदा उगाहा गया है। इसके लिए 20 रुपये बीघा यानि 100 रुपये प्रति एकड़ प्रत्येक किसान से चंदा लिया गया। कुछ किसानों ने अपनी इच्छानुसार इससे ज्यादा चंदा भी दिया। पटियाला जिले के मेहर सिंह नंबरदार ने बताया कि पंजाब के प्रत्येक गांव से हर घर ने चंदा दिया है। जिन लोगों के पास जमीन नहीं है, उन्होंने भी चंदा दिया है। राशन भी हर घर से जुटाया गया है।

--हजारों महिलाएं भी जत्थे में शामिल

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पंजाब के किसानों में केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के प्रति इतना गुस्सा था कि बुजुर्गों से लेकर जवान, युवा, बच्चे और महिलाएं भी दिल्ली कूच के लिए निकले थे। बरनाला जिले के भैणी जस्सा गांव की सुखदीप कौर कहती हैं कि सरकार उनकी जमीन छीनने का षड्यंत्र रच रही है। पंजाब के पूर्वजों ने बड़ी शहादतें दी हैं। इसलिए मोदी सरकार से आर-पार टकराने के लिए निकले हैं।

--पूर्वजों ने दी कुर्बानियां, हम भी पीछे नहीं हटेंगे

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कोरोना के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं, इसलिए युवा भी किसान आंदोलन में शरीक हुए। पंजाब के किसानों के आंदोलन की खास बात यह देखने को मिली कि हर उम्र के लोग शामिल थे और सभी जोश से लबरेज थे। संगरूर के घग्गा गांव के युवा किसान कुलदीप सिंह कहते हैं कि इकट्ठे नहीं हुए तो बर्बाद हो जाएंगे। उनके साथ 14 साल का अमन भी ट्राली में बैठा हुआ था। अमन ने बताया कि उसकी मम्मी और पापा भी दूसरे ट्रैक्टर में बैठे हुए हैं।

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