ई-टिकटिग मशीन योजना नहीं चढ़ पाई सिरे, रोडवेज परिचालक हो रहे कोरोना संक्रमण का शिकार

सरकार ने रोडवेज परिचालकों के लिए मैनुअल टिकट बनाने के झंझट को खत्म करते हुए ई-टिकटिग (इलेक्ट्रोनिक्स टिकटिग) मशीन खरीदने की योजना बनाई थी। लेकिन यह अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 08:00 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 08:00 AM (IST)
ई-टिकटिग मशीन योजना नहीं चढ़ पाई सिरे, रोडवेज परिचालक हो रहे कोरोना संक्रमण का शिकार
ई-टिकटिग मशीन योजना नहीं चढ़ पाई सिरे, रोडवेज परिचालक हो रहे कोरोना संक्रमण का शिकार

जागरण संवाददाता, जींद : जिले में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने रोडवेज परिचालकों के लिए मैनुअल टिकट बनाने के झंझट को खत्म करते हुए ई-टिकटिग (इलेक्ट्रोनिक्स टिकटिग) मशीन खरीदने की योजना बनाई थी। लेकिन यह अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। रोडवेज परिचालक कोरोना संक्रमण की चपेट में आने लगे हैं। ऐसे में इस समय अगर ई-टिकटिग मशीन परिचालकों के हाथ में होती, तो कोरोना संक्रमण के फैलने पर कुछ हद तक रोक लग सकती थी। दरअसल परिचालक फिलहाल टिकट काटते समय अंगूठे पर थूक लगाते हैं। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। अगर परिचालक संक्रमण का शिकार हो गए, तो बड़े स्तर पर कोरोना फैल सकता है। ई-टिकटिग मशीन से परिचालक को इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने मांग की है कि ई-टिकटिग मशीन खरीदने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।

ई-टिकटिंग मशीन एक स्वाइप मशीन की तरफ होती है, इसमें संबंधित रूटों के विभिन्न स्थानों और स्टेशन के कोड फीड होते हैं। टिकट बनाते समय परिचालक को यात्री द्वारा बताए गए स्थान का कोड इंटर करना होगा, जिसके बाद मशीन द्वारा स्वयं ही किराया का मूल्यांकन होगा और टिकट प्रिंट हो जाएगी। ई-टिकटिंग मशीन मिलने के बाद परिचालकों को काफी सुविधा होगी। टिकट बनाने में अपेक्षाकृत कम समय लगेगा और परिचालकों को रूट प्रफोर्मा भरने जैसे कार्यों से भी निजात मिलेगी। वहीं यात्रियों को भी इससे फायदा होगा।

रोडवेज कर्मचारी यूनियन इंटक के पूर्व प्रधान संदीप रंगा ने कहा कि रोडवेज में ई-टिकटिंग मशीन लाने की योजना 8 साल पुरानी है। पिछले साल खरीद प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन टेंडर से आगे नहीं बढ़ पाई।

टिकट छपाई का लाखों का खर्च बचेगा

ई-टिकटिग मशीनें मिलने के बाद रोडवेज का टिकट छपाई का लाखों का खर्च बचेगा। कई बार परिचालक अपने किसी जान पहचान वाले को बस में बगैर टिकट के बैठा लेते हैं और जब देखते है कि आगे कही रूट पर फ्लाइंग खड़ी है तो इससे पहले चेकिग हो, उसे टिकट बना कर देते हैं। इससे वह फ्लाइंग से बच जाता है। अगर ई-टिकटिंग मशीन आती है तो परिचालक जिस समय टिकट काटेगा तो मशीन के अंदर मौजूद रूट डिटेल व समय दर्शाएगा। इससे फ्लाइंग टीम को पता चल सकेगा कि किस समय यात्री का टिकट कटा है।

जींद डिपो के महाप्रबंधक बिजेंद्र हुड्डा ने कहा कि ई-टिकटिंग मशीन की टेंडर प्रक्रिया मुख्यालय के स्तर पर ही होगी। डिपो में 294 परिचालक हैं, इसलिए इतनी ही मशीनें कम से कम चाहिए होंगी।

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