फोन पर किसी के कहने से स्क्रीन शेयरिग एप डाउनलोड न करें

साइबर अपराधी लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए कई तरह के तरीके अपना रहे हैं। लोगों को इनसे जागरूक रहने की जरूरत है। साइबर अपराधी फोन-पे या गूगल-पे इत्यादि पर कैशबैक का झूठा लालच देकर क्यूआर कोड स्कैन करवाते हैं या लिक पर क्लिक करने को कहते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। लिक पर क्लिक करते ही या क्यूआर कोड स्कैन करते ही खाते से पैसे निकल जाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 10:00 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 10:00 PM (IST)
फोन पर किसी के कहने से स्क्रीन शेयरिग एप डाउनलोड न करें
फोन पर किसी के कहने से स्क्रीन शेयरिग एप डाउनलोड न करें

जागरण संवाददाता, जींद: साइबर अपराधी लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए कई तरह के तरीके अपना रहे हैं। लोगों को इनसे जागरूक रहने की जरूरत है। साइबर अपराधी फोन-पे या गूगल-पे इत्यादि पर कैशबैक का झूठा लालच देकर क्यूआर कोड स्कैन करवाते हैं या लिक पर क्लिक करने को कहते हैं। ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। लिक पर क्लिक करते ही या क्यूआर कोड स्कैन करते ही खाते से पैसे निकल जाएंगे।

पुलिस अधीक्षक (एसपी) वसीम अकरम ने बताया कि अपराधी पीड़ित को बैंकिग कार्यों में मदद करने या कंपनी की पालिसी का बहाना बना मोबाइल में स्क्रीन शेयरिग एप्लीकेशन जैसे एनीडेस्क या क्विकस्पोर्ट इत्यादि डाउनलोड व इंस्टाल करवा देते हैं। इसके जरिए पीड़ित के मोबाइल तक पहुंच बनाकर पीड़ित के बैंक से संबंधित गोपनीय जानकारी जैसे सीवीवी नंबर, ओटीपी इत्यादि प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद पीड़ित के खाते से पैसों की अवैध निकासी शुरू कर देते हैं। जब तक पीड़ित को अवैध निकासी का एहसास होता है, तब तक पीड़ित के खाते से काफी पैसे की निकासी हो चुकी होती है। फर्जी कैशबैक आफर्स के जरिए फर्जीवाड़ा

एसपी वसीम अकरम ने बताया कि साइबर अपराधी पीड़ित को फोन-पे या गूगल-पे इत्यादि पर कैशबैक का झूठा लालच देते हैं और कैशबैक की प्राप्ति के लिए लिक को क्लिक कर क्यूआर कोड को स्कैन कर राशि को अपने खाते में जमा करने के लिए कहते हैं। जैसे ही पीड़ित लिक को क्लिक करने के बाद यूपीआइ या एम पिन अंकित करता है, उसके खाते में पैसा जमा होने की बजाय पैसों की उनके खाते से निकासी हो जाती है। ये लिक इस प्रकार के हो सकते हैं -----------

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-बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान

-फोन के माध्यम से किसी कंपनी के अधिकारी के कहे जाने पर कभी भी किसी प्रकार का स्क्रीन शेयरिग एप डाउनलोड न करें।

-बैंक या ई-कामर्स कंपनी इत्यादि कभी भी किसी तृतीय पक्ष का स्क्रीन शेयरिग ऐप इत्यादि डाउनलोड करने के लिए नहीं कहता है।

-कभी भी असत्यापित स्त्रोत से प्राप्त लिक को क्लिक या अग्रसारित न करें।

-एम पिन या यूपीआइ पिन अंकित करने की जरूरत केवल पैसों को दूसरे के खातों में हस्तांतरित करने के लिए होती है न कि लेने के लिए।

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