नगर परिषद प्रधान कल छोड़ देंगी आफिस, आखिरी छह दिन घर से निपटाएंगी फाइलें
नगरपरिषद प्रधान पूनम सैनी का कार्यकाल 21 जून को पूरा होगा। लेकिन इससे पहले ही सोमवार 14 जून से वह आधिकारिक रूप से ऑफिस छोड़ देंगी।
कर्मपाल गिल, जींद
नगरपरिषद प्रधान पूनम सैनी का कार्यकाल 21 जून को पूरा होगा। लेकिन इससे पहले ही सोमवार 14 जून से वह आधिकारिक रूप से ऑफिस छोड़ देंगी। इसके बाद सारी फाइलें घर से ही निपटाएंगी। हालांकि पिछले साल 17 जुलाई को प्रधान पति व ईओ के बीच हुई तकरार के बाद पूनम सैनी आज तक आफिस नहीं आई हैं। प्रधान का कार्यकाल पूरा होने के बाद नगरपरिषद में 22 जून से प्रशासक की नियुक्ति हो जाएगी।
नगरपरिषद प्रधान पूनम सैनी का पांच साल का कार्यकाल कई उपलब्धियों भरा रहा तो विवादों से भी लगातार नाता जुड़ा रहा। नगरपरिषद के आज तक के इतिहास में शहर के विकास के लिए सबसे ज्यादा ग्रांट उनके कार्यकाल में आई। हालांकि सरकार के इस आशीर्वाद के पीछे उनके पति जवाहर सैनी की मुख्यमंत्री के साथ पुरानी मित्रता थी। यही कारण था कि जवाहर सैनी की नगरपरिषद कार्यालय में पूरी तरह दखलअंदाजी रही। बरसाती पानी की निकासी के लिए अमरूत योजना, शॉपिग काम्प्लेक्स, गलियों व सड़कों के निर्माण सहित अन्य कार्याें के लिए सरकार से खूब रुपया आया। कोर्ट के पीछे इम्प्लाइज कालोनी व भगत सिंह कॉलोनी जैसी दर्जनों कालोनियां, जो 20-25 साल से आबाद थी। लेकिन इनमें गलियां कच्ची पड़ी थी, उन गलियों को पक्का कराया। इतने काम होने के बावजूद नगरपरिषद प्रधान पूनम सैनी व उनके पति जवाहर सैनी को इनका वाजिब श्रेय नहीं मिला।
दैनिक जागरण से बातचीत में जवाहर सैनी कहते हैं कि पांच साल तक काम कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साजिश के तहत कुछ लोग उनको बदनाम करने में जुटे रहे। इसी लाबी से जुड़े लोगों ने शहर में उनके बारे में काफी गलत प्रचार किया। फिर भी उन्होंने शहर में इतने विकास कराए, जो अब तक का रिकार्ड है।
22 जुलाई को प्रधान पद के आरक्षण का ड्रा खुलेगा
नगरपरिषद का अगला प्रधान किस श्रेणी से होगा, इस बारे में 22 जुलाई को चंडीगढ़ में ड्रा निकलेगा। इसके बाद शहर की सियासत नई करवट लेगी। अभी नगरपरिषद प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए राजकुमार गोयल, प्रदीप गिल, नरेंद्र नाडा, सुनील वशिष्ठ, शिबू जिदल, विनोद आशरी, महावीर कंप्यूटर, डा. राज सैनी, राजू लखीना, अतुल चौहान, मुकेश चहल सहित कई चेहरे अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इनमें से कुछ लोगों ने अपनी तरफ से तैयारी पूरी कर रखी है, सिर्फ आरक्षण के ड्रा का इंतजार है। ड्रा निकलते ही सभी संभावित चेहरे मैदान में आ जाएंगे। इस बार प्रधान का पद सामान्य वर्ग के लिए ओपन था, लेकिन बीसी वर्ग से पूनम सैनी ने पांच साल राज किया।
सालभर से नगरपरिषद में 0 काम
नगरपरिषद ही नहीं, पूरे जींद शहर के लिए पिछला एक साल काफी दुर्भाग्य वाला रहा। बीती 17 जुलाई को नगपरिषद कार्यालय में कार्यकारी अधिकारी (ईओ) डा. एसके चौहान की वार्ड 26 के पार्षद हरेंद्र उर्फ काला सैनी के तकरार हो गई थी। उनके विवाद में जवाहर सैनी भी कूद पड़े थे और उनकी भी ईओ से काफी तू-तू मैं मैं हो गई थी। मामला पुलिस थाने तक पहुंच गया था। इस विवाद के बाद प्रधान पूनम सैनी व उनके पति ने कार्यालय आना बंद कर दिया था। दुर्भाग्य वाली बात यह रही कि ईओ व जवाहर के बीच विवाद से पहले हाउस की मीटिग में करीब 15 करोड़ के विकास कार्यों के प्रस्ताव पास हुए थे, जिनके आज तक टेंडर जारी नहीं हो पाए।
फिर मौका मिला तो करेंगे सुंदरीकरण सैनी
दैनिक जागरण से बातचीत में प्रधान पूनम सैनी व उनके पति जवाहर सैनी ने कहा कि शहर में हडवारा सुचारु रूप से नहीं चला पाए। गुरुद्वारे के साथ लगती जमीन पर अंडरग्राउंड पार्किंग बनाने व ऊपर माल और कम्युनिटी सेंटर बनाने की योजना थी। यह काम पूरा नहीं हो पाया। शहर के कचरे के निस्तारण के लिए सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट भी नहीं लग पाया। यह बड़ा प्रोजेक्ट था। भविष्य में मौका मिला तो शहर के सुंदरीकरण की तरफ ध्यान देंगे।