जींद में भाजपा जयंती मंडल ने लगाया योग शिविर

भाजपा संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में भाजपा जयंती मंडल जींद महात्मा ज्योतिबा फुले पार्क कार्यक्रम करेगी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 09:24 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:24 AM (IST)
जींद में भाजपा जयंती मंडल ने लगाया योग शिविर
जींद में भाजपा जयंती मंडल ने लगाया योग शिविर

जींद : भाजपा संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में भाजपा जयंती मंडल जींद महात्मा ज्योतिबा फुले पार्क किले पर और डेढ़राज मुहल्ला पार्क में मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र धवन की अध्यक्षता में योग कैंप लगाया। मुख्यातिथि भाजपा विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा और सीएम विडो जींद के प्रभारी सुभाष शर्मा ने कैंप का उद्घाटन किया। कैंप के संयोजक संजय सैनी बताया कि बलिदान दिवस पर पौधारोपण करके डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी गई। कैंप में आए लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवाने के प्रति जागरूक किया। कैंप में भारतीय योग संस्थान के प्रशिक्षक राजवीर तंवर, मंडल की तरफ से शिवचरण मोयल, बलराज पांचाल, विकास ग्रोवर, राकेश सेतिया, मुकेश गांधी, संतराम शर्मा, विनोद धीमान, अनिल मंगला, महावीर पेंटर, अनिल शर्मा, विनय शर्मा, रवि कुमार, अमित सैनी, दिनेश सैनी, रमेश सैनी उपस्थित रहे। जासं

नकारात्मक और सकारात्मक विचारों के बीच निरंतर युद्ध होता है : पवन शर्मा

जासं, जींद : हर्ष और विषाद दोनों का जीवन से गहरा रिश्ता तो है, लेकिन दोनों स्थितियों में भारी अंतर भी है। हर्ष का मतलब है जीवन में अनुकूलता और विषाद यानि जीवन में प्रतिकूलता। ये दोनों ही स्थितियां व्यक्ति को डिप्रेशन की ओर ले जा सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जो व्यक्ति जीवन में पहले सुख भोग लेता है, उसके समक्ष जब कभी प्रतिकूल परिस्थितियां आती हैं। उनका पहली बार सामना होने पर वह बेचैनी और घबराहट का अनुभव करने लगता है। उक्त वाक्य आचार्य पवन शर्मा ने माता वैष्णवी धाम में गंगा दशहरा पर्व पर रविवार को अपने प्रवचन में कहे। आचार्य ने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता का पहला अध्याय ही विषाद योग है। कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरवों और पांडवों के बीच भीषण युद्ध हुआ। जीवनरूपी कुरुक्षेत्र में भी नकारात्मक और सकारात्मक विचारों के बीच निरंतर युद्ध होता रहता है। गीता के इस प्रथम अध्याय में जहां दुर्योधन हर्ष से प्रफुल्लित है, वहीं अर्जुन विषादग्रस्त है। लेकिन अर्जुन का विषाद उसके लिए परम लाभकारी सिद्ध हुआ। अर्जुन के विषाद का ही परिणाम था कि उसे श्रीकृष्ण से गीता ज्ञान के साथ-साथ उनके विराट स्वरूप का दर्शन भी हुआ।

chat bot
आपका साथी