विकास कार्यो में घोटाले की जांच नहीं होने पर भाजपा जिला कार्यकारिणी के सदस्य आमरण अनशन पर बैठे
विकास कार्यों में घोटालों का आरोप लगाते हुए इनकी जांच नहीं किए जाने से खफा भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य रामदास प्रजापत अग्रसेन चौक पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
संवाद सूत्र, सफीदों : नगरपालिका द्वारा 35 करोड़ रुपये खर्च कर किए गए विकास कार्यों में घोटालों का आरोप लगाते हुए इनकी जांच नहीं किए जाने से खफा भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य रामदास प्रजापत अग्रसेन चौक पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता सोमदत शर्मा, जींद जिला सचिव सुखदेव राणा, आरटीआइ कार्यकर्ता प्रदीप गर्ग भी धरने पर बैठे हैं।
रामदास प्रजापत ने कहा कि सफीदों नगरपालिका के इतिहास में कभी भी 35 करोड़ रुपये किसी सरकार द्वारा नहीं दिए गए थे। भाजपा सरकार में सफीदों के विकास के लिए ग्रांट की झड़ी लगा दी लेकिन नगरपालिका प्रशासन ने करोड़ों रुपये के घोटाला कर सफीदों नगरपालिका को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया। अधिकारियों को जिस कार्य में ज्यादा कमीशन मिलता है, उस कार्य को बहुत जल्द शुरू करवा देते हैं और बाकी कार्यों को लटकाते रहते हैं। कोई भी विकास कार्य बिना कमीशनखोरी के नहीं होता। उन्होंने ने बताया कि वार्ड नंबर 14 के माध्यमिक विद्यालय कि खाली जमीन पर नए भवन के लिए 1.80 करोड़ की ग्रांट आई हुई है, जिसका एस्टीमेट एवं टेंडर लगने जा रहे हैं लेकिन खाली जमीन में गंदे पानी भरे होने से निर्माण में देरी होना तय है।
नगरपालिका द्वारा कस्बे के हाट रोड पर करीब 2500 मीटर लंबे नाले का अवैध निर्माण करवाया गया है और उसकी निकासी का प्रबंध नहीं किया गया। नगरपालिका द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच के लिए दो बार एसडीएम को ज्ञापन दिया जा चुका है लेकिन जांच शुरू नहीं होने पर यह अनशन शुरू किया गया है। सोमदत्त शर्मा ने कहा कि सरकार विकास कार्यों के लिए ग्रांट व अनुमति दे सकती है लेकिन विकास कार्य अधिकारियों द्वारा किया जाता है। उनकी मांग है कि इन मामलों की जांच की जाए- तीन स्वागत द्वार, स्ट्रीट लाइट, नालियों में लगाए गए प्लास्टिक के पाइप कि गुणवत्ता, रामसर पार्क में करोड़ के मिट्टी के भरत, पुरानी ब्लाक को कहां बेचा गया, कन्या महविद्यालय रोड, एम जी रोड, एवं गैस एजेंसी रोड, एचडीएफसी बैंक के सामने नालों के एस्टीमेट, शहर के सभी नालों कि निकासी एवं मटीरियल और नगरपालिका द्वारा लगाए गए डस्टबिन की जांच एसआइटी द्वारा की जाए।