बधाना बागवानी रीजनल सेंटर बदलेगा किसानों की किस्मत, जल्द शुरू होंगे ट्रेनिग कोर्स

किसानों की जिदगी में बदलाव लाने के लिए जिले के गांव बधाना में बन रहे बागवानी सेंटर से जिले के किसानों को बहुत अधिक फायदा होगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:16 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:16 AM (IST)
बधाना बागवानी रीजनल सेंटर बदलेगा किसानों की किस्मत, जल्द शुरू होंगे ट्रेनिग कोर्स
बधाना बागवानी रीजनल सेंटर बदलेगा किसानों की किस्मत, जल्द शुरू होंगे ट्रेनिग कोर्स

कर्मपाल गिल, जींद

किसानों की जिदगी में बदलाव लाने के लिए जिले के गांव बधाना में बन रहे बागवानी रीजनल सेंटर में जल्द काम शुरू होने वाला है। करीब 16 एकड़ जमीन की बाउंड्री वाल बना दी गई है। पोलीहाउस भी बनकर तैयार हो गया है, जिसमें बढि़या क्वालिटी के पौधों की नर्सरी तैयार की जाएंगी। किसानों को ट्रेनिग देने के लिए जल्द छोटी अविध के कोर्स भी शुरू किए जाएंगे।

मनोहर सरकार ने अपनी पहली पारी में बधाना में महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल का रीजनल सेंटर बनाने की घोषणा की थी, जिसका नामकरण शहीद पवन खटकड़ के नाम पर किया जाएगा। ग्राम पंचायत ने रीजनल सेंटर के लिए 40 एकड़ जमीन सरकार को दी है। रीजनल सेंटर में किसानों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए जींद जिले की मिट्टी-पानी के हिसाब से सब्जी, फल व औषधियों पौधों पर रिसर्च की जाएगी। किसानों को सस्ते दामों पर बढि़या क्वालिटी के पौधे व बीज दिए जाएंगे। नर्सरी बनाने के लिए पाली हाउस का काम 95 फीसदी पूरा कर लिया गया है। बारिश के बाद फार्म तैयार करने, नर्सरी में पौधे व सब्जियां लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। किसानों को छोटी अवधि के ट्रेनिग कोर्स भी अगले तीन-चार महीने में शुरू होने की उम्मीद है।

बागवानी विश्वविद्यालय के वीसी डा. समर सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि जींद जिले के किसानों की किस्मत बदलने के लिए रीजनल सेंटर बहुत मददगार साबित होगा। गेहूं, धान, कपास, गन्ना जैसी परंपरागत खेती के बजाय बागवानी की खेती में तीन से चार गुणा ज्यादा आमदनी होती है। मकसद यही है कि आसपास के किसान बागवानी की तरफ आएं और नई तकनीक से खेती करने की ट्रेनिग लेकर कम लागत पर अधिक आय हासिल करें।

छोटी जोत के किसान ले सकेंगे अच्छी आमदनी

बदलते समय के साथ अब खेती की जोत भी छोटी हो गई है। गांवों में पांच एकड़ वाले किसान बहुत कम मिलते हैं। दस एकड़ या इससे ज्यादा जमीन वाले किसान गिनती के ही हैं। अधिकतर किसानों के पास दो से तीन एकड़ ही जमीन है। जोत घटने से उन्हें आमदनी भी कम होती है। रीजनल सेंटर से फल, सब्जियों, मधुमक्खी पालन, मशरूम व औषधीय खेती करने का ज्ञान लेकर छोटे किसान कम एकड़ में भी ज्यादा आमदनी ले सकेंगे। ट्रेनिग कोर्स करने वाले किसानों को एग्रो इंडस्ट्रीज में रोजगार भी मिल सकेगा। सब्जी, बागवानी व औषधियों पौधों के एक्सपर्ट वैज्ञानिकों की नियुक्ति की जाएगी, जो फसलों में बीमारी या कीड़ा आने पर सलाह देंगे।

जिले की माटी में होने वाले पौधे किसानों को देंगे

बागवानी विवि के वीसी डा. समर सिंह कहते हैं कि किसान को जब यह लगेगा कि बागवानी की खेती में नुकसान नहीं होगा, तभी इस तरफ आएंगे। इसके लिए बुनियादी ढांचा मजबूत किया जा रहा है। रीजनल सेंटर में फल व सब्जियों की नई किस्मों पर रिसर्च होगी। दूसरे देशों व प्रदेशों से बढि़या बीज व पौधे लाकर उनको टेस्ट किया जाएगा। जींद में होने वाले पौधों को किसानों को मुहैया कराया जाएगा। अनार, आम, बेर, अमरूद आदि फलों की बढि़यों किस्मों पर रिसर्च होगी। पढ़े-लिखे युवा किसानों का रुझान सब्जियों व फलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। उन्हें भी सही ट्रेनिग मिल सकेगी ताकि ज्ञान के अभाव में बड़ा घाटा न उठा सकें।

जमीन पर कोर्ट केस नहीं होता तो शुरू हो जाता काम

बधाना पंचायत ने बागवानी विश्वविद्यालय के रीजनल सेंटर के लिए 40 एकड़ पंचायती जमीन दे रखी है। कुछ किसानों ने दस एकड़ को अपना बताकर कोर्ट केस रखा है। इसके चलते रीजनल सेंटर का काम धीमी गति से चल रहा है। 16 एकड़ की बाउंड्री हो गई है। कोर्ट केस नहीं होता तो अब तक काम शुरू हो चुका होता। फिर भी जो जमीन उन्हें मिली है, उस पर तेज गति से काम हो रहा है।

डा. समर सिंह, वीसी, बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल

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