विद्यार्थी जीवन में अपनाएं संस्कार

इंसान की जिदगी में विद्यार्थी जीवन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान हम जो संस्कार हासिल करते हैं वे पूरी जिदगी हमारा साथ देते हैं। सिर्फ माता-पिता या गुरुजनों के पैर छूकर आशीर्वाद लेना ही संस्कार नहीं है। बल्कि जीव-जंतुओं पर अत्याचार न करना पानी को बर्बाद न करना पर्यावरण का संरक्षण करना सोशल मीडिया का सदुपयोग करना जैसे संस्कार भी जरूरी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 08:58 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 08:58 AM (IST)
विद्यार्थी जीवन में अपनाएं संस्कार
विद्यार्थी जीवन में अपनाएं संस्कार

जागरण संवाददाता, जींद: इंसान की जिदगी में विद्यार्थी जीवन सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान हम जो संस्कार हासिल करते हैं, वे पूरी जिदगी हमारा साथ देते हैं। सिर्फ माता-पिता या गुरुजनों के पैर छूकर आशीर्वाद लेना ही संस्कार नहीं है। बल्कि जीव-जंतुओं पर अत्याचार न करना, पानी को बर्बाद न करना, पर्यावरण का संरक्षण करना, सोशल मीडिया का सदुपयोग करना जैसे संस्कार भी जरूरी हैं। विद्यार्थी जीवन से ही इन संस्कारों को अपना लेंगे तो जीवन सफल हो जाएगा। दैनिक जागरण की ओर से सुप्रीम स्कूल में आयोजित संस्कारशाला कार्यक्रम में हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की ओर से संचालित बाल सलाह परामर्श व कल्याण केंद्र के स्टेट नोडल आफिसर व अनिल मलिक ने बच्चों से रूबरू होते हुए यह बातें कही। इस अवसर पर प्रबंधन समिति के सदस्य शरत अत्री, प्रिसिपल सत्येंद्र त्रिपाठी सहित भी मौजूद रहे।

दैनिक जागरण में जलपुरुष राजेंद्र सिंह पर प्रकाशित कहानी सुनाते हुए मनोवैज्ञानिक अनिल मलिक ने कहा कि शिक्षा पूरी करते हुए उन्होंने अपना जीवन जल संरक्षण के लिए आहूत कर दिया था। शुरू में उनका मजाक उड़ाया गया, लेकिन जल संरक्षण के प्रति उनकी जिद और दिल से किए गए प्रयासों के चलते आम आदमी और शासन-प्रशासन ने भी साथ देना शुरू कर दिया। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज राजस्थान में सात हजार से ज्यादा जोहड़ बन चुके हैं। अब राजस्थान के हजार से ज्यादा गांवों में पानी की कमी नहीं है। उनके इन प्रयासों के चलते पानी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के बराबर समझा जाने वाला स्टॉकहोम वाटर प्राइज मिल चुका है। हम सबको राजेंद्र सिंह से प्रेरणा लेते हुए इस धरती, जल और जीवन को बचाने के अभियान में अपना योगदान देना चाहिए। कहानी को सुनाने के बाद विद्यार्थियों से प्रश्न भी पूछे गए, जिनका जवाब देने के लिए विद्यार्थियों में होड़ लग गई।

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दैनिक जागरण की ओर से शुरू किया गया संस्कारशाला कार्यक्रम लाजवाब है। आज की पीढ़ी को सबसे ज्यादा संस्कारों की जरूरत है। संस्कारशाला कार्यक्रम में बच्चों ने दिल से उपस्थिति दर्ज कराई और काफी कुछ सीखा। सालभर में दो-तीन बार ऐसे कार्यक्रम जरूर होने चाहिए। संस्कारों के बिना जीवन का कोई महत्व नहीं है।

-सत्येंद्र त्रिपाठी, प्रिसिपल, सुप्रीम स्कूल

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आज संस्कारशाला कार्यक्रम में जलपुरुष की कहानी सुनकर बहुत अच्छा लगा। एक आदमी ने अपने प्रयासों से राजस्थान के सूखे इलाकों में पानी की कमी दूर कर दी। हम सबको उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और जल संरक्षण की मुहिम में अपना योगदान भी देना चाहिए।

-खुशबू, छात्रा

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