खेत खलिहान : बागवानी में अतिरिक्त सावधानी से किसानों की आय में होगा इजाफा
- बागवानी फसलों की बिजाई से पहले व बाद में विशेषज्ञों की सलाह से उठाए कदम
जागरण संवाददाता, झज्जर : किसान खेती की बजाय बागवानी से अधिक आय कमा सकते हैं। लेकिन, इसके लिए किसानों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। किसान बागवानी फसलों की बिजाई से पहले व बाद में भी विशेषज्ञों की सलाह से ही कदम उठाएं। महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र रईया से सहायक प्रोफेसर (सब्जी विज्ञान) डा. सतपाल यादव व तकनीकी सहायक अशोक सिवाच के अनुसार परंपरागत खेती की तुलना में बागवानी अपनाने वाले किसानों की आय वृद्धि में यह फसलें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। लेकिन, सब्जियों व फलों की खेती करने वाले किसानों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ताकि किसान अपनी आय में इजाफा कर सकें। टमाटर : सब्जियों में टमाटर का विशेष स्थान है। अगस्त में रोपी गई पौध में नाइट्रोजन की पहली मात्रा रोपाई के 4-5 सप्ताह बाद डालें। एक एकड़ खेत में 30 किलोग्राम यूरिया देकर सिचाई करें। नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा फसल में फूल आने की अवस्था में देनी चाहिए। अधिक वर्षा हो तो जल निकास का प्रबंधन एवं सूखा होने पर सिचाई करें। हानिकारक कीड़े हरा तेला, सफेद मक्खी का प्रकोप होने पर 400 एमएल मेलाथियान 50 इसी को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। अगर टमाटर में आदर गलन रोग दिखाई दे तो इसकी रोकथाम के लिए 2.5 ग्राम एमिसान या कैप्टन या थिराम दवाई से प्रति एक किलोग्राम बीज कि दर से बीज उपचारित करें। उगने के बाद पौधों को गिरने से बचाने के लिए 0.2 फीसद कैप्टन के छिड़काव से नर्सरी को तर करें। अगेती झुलसा रोग के लिए मैनकोजेब की 400 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इसके बाद 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। मिर्च : फल का गलना व टहनीमार नियंत्रण के लिए 400 ग्राम कापर आक्सिक्लोराइड या इंडोफिल एम 45 को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से 10 से 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें। फल फूल गिरने से बचाव के लिए प्लानोफिक्स की 40 एमएल मात्रा 180 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव फूल आने पर करें। शलगम-गाजर-मूली : बिजाई से पहले बीज को कैप्टन या थिराम दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। बिजाई के लगभग 1 माह बाद 26 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ देकर मिट्टी चढ़ा दें। नींबू वर्गीय बाग : नींबू जाति के पौधों को कीड़े से बचाने के लिए 500 एमएल मोनोक्रोटोफास 36 एसएल को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। अमरूद : उक्ठा या विल्ट रोग आने पर हर पौधे के थांवले में 15 ग्राम कार्बेंडाजिम डालकर पानी लगा दे। पौधों पर एक किलोग्राम जिक सल्फेट व दो किलोग्राम यूरिया को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।