चलो गांव की ओर : 100 साल पहले बसा गांव कैमलगढ़ चल रहा आत्मनिर्भरता की राह
- गांव से निकले युवाओं का आज भी गांव की मिट्टी से बना हुआ हैं जुड़ाव
- गांव से निकले युवाओं का आज भी गांव की मिट्टी से बना हुआ हैं जुड़ाव फोटो : 13 जेएचआर 15, 16, 17, 18 जागरण संवाददाता,झज्जर : करीब
100 साल पहले बसा गांव कैमलगढ़ की जनसंख्या बेशक कम हो, लेकिन यहां के ग्रामीण आत्मनिर्भरता की राह पर चल रहे हैं। हर ग्रामीण खेतीबाड़ी से जुड़ा हुआ है। वो चाहे अधिवक्ता हो सेना के बड़े पद पर। साथ ही गांव में जन्म लेने वाले कई लोग सरकारी विभागों में बड़े पदों तक पहुंच चुके हैं। इसके बावजूद भी जमीन से जुड़े हुए हैं। जहां लोग अधिकारी बनने के बाद खेतीबाड़ी छोड़ देते हैं, वहीं कैमलगढ़ के अधिकतर ग्रामीण खेतीबाड़ी कर रहे हैं। गांव कैमलगढ़ करीब 100 वर्ष पहले सोरण सिंह नामक व्यक्ति ने बसाया था। सोरण सिंह गांव कुतानी से आकर कैमलगढ़ की जमीन पर बसे थे। इसके बाद उनके दो भाई कन्हैया सिंह व सुरजन सिंह भी यहां पर आकर बस गए। यहां के ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि हैं। फिलहाल गांव की जनसंख्या करीब 250 है। जिसमें से 95 फीसद से अधिक ग्रामीण शिक्षित हैं। गांव की जनसंख्या कम होने के बावजूद भी गांव में करीब आठ अधिवक्ता हैं। वहीं 6-7 व्यक्ति सेना में रहते हुए देश सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं दो-तीन युवा अभी भी सेना में ड्यूटी दे रहे हैं। गांव के जीत सिंह सेना में बतौर कमांडिग ऑफिसर ड्यूटी करने के बाद सेवानिवृत्त हुए। वहीं अमनदीप ड्रग कंट्रोलिग ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। इसके अलावा ग्रामीण अन्य सरकारी पदों पर भी हैं। बॉक्स :
गांव में लोगों के लिए पार्क भी बनाया गया है। जिसके अंदर एक तालाब बनाया गया है। इस तालाब में नहर से पानी डाला जाता है, ताकि हर समय पानी उपलब्ध रहे। साथ ही बरसात का पानी संरक्षित करने की भी व्यवस्था की गई है। इसके लिए तालाब के चारों ओर अधिकतर एरिया पक्का है। तालाब में पाइप लगाए हैं, ताकि बरसात हो तो इन पाइपों के माध्यम से आसपास का पानी तालाब में एकत्रित हो सके। बरसात का पानी बर्बाद भी ना हो और बाद में प्रयोग किया जा सके। - गांव कैमलगढ़ के सरपंच शेखर चौहान ने बताया कि गांव विकास के मामले में अग्रणी है। शिक्षित होने के साथ-साथ लोग मिलनसार भी हैं। जिसकी बदौलत हर काम मिलजुलकर करते हैं। गांव में 24 घंटे बिजली रहती है। इसके लिए सभी ग्रामीण समय पर बिजली बिल अदा करते हैं। ताकि ग्रामीणों को बिजली की समस्या का सामना ना करना पड़े। लोगों के पास अच्छी व उपजाऊ जमीन है, जिस पर खेतीबाड़ी कर रहे हैं।