शंख की ध्वनि, महामत्युंज्य का जाप और हवन से बदल रहा गांव का माहौल
कोरोना की दूसरी लहर का जिस तरह से ग्रामीण आंचल में असर दिखने लगा है। इसको लेकर भी ग्रामीण चितित है। इसलिए बुधवार को छुछकवास में शंख की ध्वनि और महामत्युंज्य के जाप के साथ ट्रैक्टर पर हवन हुआ।
अमित पोपली, झज्जर
कोरोना की दूसरी लहर का जिस तरह से ग्रामीण आंचल में असर दिखने लगा है। इसको लेकर भी ग्रामीण चितित है। इसलिए बुधवार को छुछकवास में शंख की ध्वनि और महामत्युंज्य के जाप के साथ ट्रैक्टर पर हवन हुआ। गांव के युवा हाथ में घंटियां लिए हुए गांव की गलियों में ट्रैक्टर को घुमाया गया। ताकि, वातावरण में शुद्धि हो। ग्रामीणों ने भी हवन में अपने स्तर पर योगदान देते हुए मंगल कामना के लिए दुआ की। इधर, बढ़ती हुई बीमारी को लेकर क्षेत्र के अन्य गांवों में डर बढ़ने लगा है। लोग समझदारी दिखाते हुए घर से निकलने में परहेज करने लगे हैं। कुल मिलाकर, गांव का माहौल अब बदलने लगा है। दवा के साथ-साथ लोग सनातन पद्धति से भी इस आपदा से बचने का उपाय खोजने में लगे हैं। प्राय: हर गांव में हवन किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि प्रत्येक घर को शामिल करते हुए आहुतियां डलवाई जा रही हैं। ताकि, अब कोई जनहानि नहीं हो। शंख और घंटियों की नाद से गूंज उठा छुछकवास
ना तो हमारे देश में कोई शंख से अपरिचित है और ना ही शंख ध्वनि से। हां, शंख बजाने के लाभ क्या-क्या हैं, इससे जरूर काफी लोग अपरिचित हैं। दरअसल, सनातन धर्म के प्रमुख प्रतीक शंख का प्रयोग घातक वायरस को दूर से ही भगा देने में ब्रह्मास्त्र के रूप में भी होता है। गांव में हवन करा रहे शिव मंदिर के महंत पदम गिरी जी के मुताबिक शंख बजाने से हमारे घर भर के विषाणु तो मरते ही हैं, घर और घर के आस-पास का वातावरण भी शुद्ध, पवित्र और प्रदूषण मुक्त हो जाता है। गाय का घी, गाय के गोबर से बने उपले और शुद्ध सामग्री का हवन में इस्तेमाल किया गया है। इधर, ज्योतिषाचार्य पं. गुलशन शर्मा के मुताबिक शंख बजाने से हमारे फेफड़े भी सशक्त होते हैं। इसे फेफड़ों का व्यायाम भी कहा जा सकता है। जिसे करने से फेफड़ों में शुद्ध ऑक्सीजन की मात्रा बहुत अधिक प्रवेश कर जाती है सरपंच महेंद्र यादव बताते है कि ट्रैक्टर पर एक बड़ी कड़ाही करते हुए हवन किया गया। जिसे गांव की हर गली में घुमाते हुए लोगों से आहुतियां डलवाई गईं। शंख की ध्वनि और महामत्युंज्य के जाप के साथ गांव की मंगल कामना के लिए प्रार्थना हो रही है। शंख बजाने का धार्मिक महत्व सनातन धर्म में साधक पूजा-अर्चना के समय आसपास के वातावरण को शुद्ध करने के लिए उपासना से पहले शंख ध्वनि करते हैं ताकि वातावरण का दुष्प्रभाव नष्ट हो और साधक का शरीर विषाणुओं से मुक्त हो सके। आसपास के विषाणुओं को नष्ट करने के साथ ही शंखध्वनि से मानसिक विकास भी होता है। तनाव दूर होता है। श्वास, फेफड़े आदि की बीमारी नहीं होती। यदि बीमारी है तो ये उपचार संभव होता है।