डेंगू व मलेरिया की रोकथाम में अभी तक रहे सफल, बरसात के बाद बढ़ी चुनौती

जुलाई माह में 160424 घरों की जांच 841 घरों में मिला मछर का लारवा इस वर्ष केवल एक मलेरिया का मामला मिला डेंगू नहीं खोल पाया खाता

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 06:30 AM (IST)
डेंगू व मलेरिया की रोकथाम में अभी तक रहे सफल, बरसात के बाद बढ़ी चुनौती
डेंगू व मलेरिया की रोकथाम में अभी तक रहे सफल, बरसात के बाद बढ़ी चुनौती

जागरण संवाददाता, झज्जर :

मानसून के दिनों में मच्छर जनित बीमारी डेंगू व मलेरिया का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। डेंगू व मलेरिया आए साल लोगों को चपेट में लेता था। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग इस बार पहले से ही जुटा हुआ है। जिसके तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वहीं एंटी लारवा एक्टिविटी करवाई जा रही हैं। अभी तक जिले की स्थिति काफी नियंत्रण में हैं। वहीं केवल एक मलेरिया का मामला ही मिला है। जबकि डेंगू खाता तक नहीं खोल पाया। इधर, पिछले कुछ दिनों से जिलेभर में झमाझम बरसात हो रही है। जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की चुनौती बढ़ गई है। क्योंकि एक जगह पर खड़े पानी में ही मच्छर का लारवा पनपता है। जिससे कि डेंगू व मलेरिया फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 1 जुलाई से 30 जुलाई तक 160424 घरों की जांच की। जिसमें से 841 घरों में मच्छर का लारवा मिला। बरसात ने एक तरफ लोगों को राहत दी है, वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी के बीच डेंगू व मलेरिया का भी खतरा बढ़ गया है। बरसात के कारण जलभराव का लोगों के पास भी कोई समाधान नहीं हैं। लोगों को मच्छरों से सुरक्षित रहने के लिए भी जानकारी दी जा रही है। लेकिन, निकासी के लिए वे क्या करें, यह उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा।

साथ ही एंटी लारवा एक्टिविटी के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम शहर व गांवों में जाकर जल स्त्रोत जैसे टंकी, होद, कूलर, पक्षियों के सकोरे आदि की जांच करती है। स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य हर उस जल जल स्त्रोत की जांच करना होता है, जिसमें पानी रहता है। अगर पानी में मच्छर का लारवा मिलता है तो उसके मालिक को चेतावनी देते हुए लारवा ना पनपने देने के लिए भी जागरूक करती है। 1 लाख 60 हजार 424 घरों की जांच

स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई माह को एंटी डेंगू माह के रूप में मनाया। जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न टीमों ने शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में सर्वे किया और जल स्त्रोतों में मच्छर के लारवा की जांच की। जिलेभर में 1 जुलाई से 30 जुलाई तक कुल 1 लाख 60 हजार 424 घरों की जांच की गई। इसमें से 841 घरों में लारवा पाया गया। साथ ही 802 लोगों को नोटिस थमाया गया। जिसमें चालान किसी का भी नहीं किया गया। बता दें कि चालान उसका किया जाता है जिसको स्वास्थ्य विभाग की टीमें लारवा मिलने पर तीन बार नोटिस थमा चुकी हो। कूलरों में मिला अधिक लारवा

मच्छर का लारवा मिलने की जगह सबसे अधिक कूलरों में मिला। लोग गर्मी से बचने के लिए कूलर का इस्तेमाल करते हैं और पानी भरते रहते है, लेकिन उसकी सफाई समय-समय पर नहीं करते। जिस कारण मच्छर का लारवा पनपता है। जिलेभर में सबसे अधिक मच्छर का लारवा कूलर के पानी में मिला है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1 से 30 जुलाई तक स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच की तो उसमें 841 जगह मच्छर का लारवा मिला। जिसमें से 497 जगह लारवा कूलर के पाने में मिला है। विभागीय टीम ने जुलाई माह में 69 हजार 984 कूलरों की जांच की है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने 2153 बाहरी एरिया (घरों के बाहर) जांच की, जहां जलभराव था। इस दौरान कुल 153 जगह मच्छर का लारवा मिला।

पिछले वर्षों में ये रही डेंगू मलेरिया की स्थिति

वर्ष डेंगू के मामले मलेरिया के मामले

2015 230 82

2016 45 88

2017 111 91

2018 56 68

2019 7 45

2020 27 11

2021 अब तक ---- 1 2019 में डेंगू के सबसे कम मामले

पिछले छह वर्षों की बात करें तो डेंगू संक्रमण में वर्ष 2019 ही सबसे बेहतर चल रहा है। 2015 से 2020 तक की बात करें तो सबसे अधिक डेंगू के मामले वर्ष 2015 में 230 मामले मिले थे। वहीं सबसे कम मामले वर्ष 2019 में केवल 7 मामले ही मिले हैं। इस लिहाज से डेंगू को फैलने से रोकने में वर्ष 2019 सबसे बेहतर रहा। हालांकि वर्ष 2021 में अभी तक 2015 के बाद सबसे कम मामले हैं, लेकिन वर्ष 2021 अभी चल रहा है। मलेरिया के लिए 2020 रहा अच्छा

वर्ष 2015 से 2020 की बात करें तो जिले में मलेरिया फैलने के मामले में सबसे खराब वर्ष 2017 रहा। वर्ष 2017 में कुल 91 मलेरिया के मामले मिले। वहीं इसके बाद हर वर्ष मलेरिया के मामलों की संख्या गिरती आ रही है। इससे पहले वाले तीनों साल लगातार मलेरिया के मामले बढ़े थे। अब वर्ष 2020 में केवल 11 मलेरिया के मामले मिले हैं। जो इन छह वर्षों में सबसे निचले पायदान पर है। 2021 के वर्तमान तक सबसे कम मलेरिया के मामले 2021 में ही मिले हैं। -मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें जुटी हुई हैं। लोगों को मच्छर जनित बीमारियों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस दौरान लोगों को समझाया जा रहा है कि वे किस तरह मच्छर के लारवा को पनपने से रोक सकते हैं। साथ ही जल स्त्रोतों की भी जांच की जा रही है। जहां मच्छर लारवा मिलता है वहां नोटिस थमाए जाते हैं।

डा. रणवीर सिंह, डिप्टी सिविल सर्जन, झज्जर। बरसात के दिनों में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से सावधानी जरूरी : डा.दहिया

- बदलते मौसम व बरसात के सीजन में मच्छरों पर नियंत्रण के लिए घर के आस-पास गड्ढ़ों में खड़े पानी को मिट्टी से भर दें या उसमें जला हुआ तेल व मिट्टी का तेल डाल दें।ताकि उसमें मच्छर न पनपें। बरसात के दिनों में डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने का अंदेशा बना रहता है। सिविल सर्जन डा. संजय दहिया ने कहा कि मलेरिया फैलाने वाला एनोफलिस मादा मच्छर पानी एकत्रित होने से पनपता है। मलेरिया की रोकथाम के लिए सभी लोगों को चाहिए कि वे या तो मच्छर पैदा ना होने दे और पैदा हो जाए तो उससे मच्छरदानी या रिपैलेंट लगाकर स्वयं को बचाएं। इसी प्रकार डेंगू फैलाने वाला एडीज मादा मच्छर दिन में काटता है और साफ पानी में पनपता है। यह मच्छर 200 मीटर क्षेत्र में ही रहता है जिसकी वजह से एक घर में डेंगू होने पर उसके सदस्यों व आस-पास के क्षेत्रों मे डेंगू होने का खतरा बढ़ जाता है।

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