चलो गांव की ओर : जिले के अंतिम छोर पर बसा सेहलंगा, शांति और सौहार्द का प्रतीक

अंतिम छोर पर बसा गांव सेहलंगा शांति और सौहार्द का प्रतीक

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 05:25 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 05:25 PM (IST)
चलो गांव की ओर : जिले के अंतिम छोर पर बसा सेहलंगा, शांति और सौहार्द का प्रतीक
चलो गांव की ओर : जिले के अंतिम छोर पर बसा सेहलंगा, शांति और सौहार्द का प्रतीक

संवाद सूत्र, साल्हावास : क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला सेहलंगा गांव जिला के अंतिम छोर पर बसा है। गांव का निकास दिल्ली बार्डर पर स्थित ईसापुर गांव से भी माना जाता है। निवर्तमान सरपंच जगत सिंह ने बताया कि 1971 की लड़ाई में बलबीर सिंह और हवा सिंह शहीद हुए। 2002 में कारगिल लड़ाई में भीम सिंह शहीद हुए, इन शहीदों का नाम गांव में बड़ी शान से लिया जाता है। शहीद भीम सिंह के पिता कैप्टन धर्म सिंह शौर्य चक्र विजेता रहे हैं। गांव में पैरा ओलिंपिक खिलाड़ी भी है, जिन्होंने नेशनल स्तर पर ऊंची कूद में अपना झंडा बुलंद किया। इसी कड़ी में 18 वर्षीय विकास सुपुत्र अनिल ने दिल्ली में हुए खेलों में हाल ही में शाटपुट में दूसरा स्थान प्राप्त किया है तो वहीं सूरज राजवीर सिंह कुश्ती में अपना परचम लहरा रहे हैं। पूर्व सरपंच व पूर्व ब्लाक समिति सदस्य सुमेर सिंह ने बताया कि गांव में लगभग 5500 की आबादी है और वोटों की संख्या लगभग 2400 है। पूर्व सरपंच बलबीर सिंह, पूर्व सरपंच बिमला देवी, महावीर नंबरदार,पूर्व ब्लाक समिति सदस्य हुकम सिंह, नंबरदार दिलबाग सिंह, बाबा हरदयाणा मंदिर कमेटी प्रधान महा सिंह फौजी ने बताया कि यह गांव शांति व सौहार्द का प्रतीक है। गांव के लोग आपस में मिल जुल कर रहते हैं, कभी भी किसी का लड़ाई झगड़ा नहीं होता। अगर कोई छोटा मोटा विवाद होता भी है तो उसे गांव के स्तर पर ही निपटा लिया जाता है इसीलिए इस गांव को शांति प्रिय गांव कहा जाता है। विग कमांडर अंकुर, महावीर डागर, लेफ्टिनेंट कर्नल, विजय छोटूराम धनखड़, मेजर संजय बनवारीलाल डागर, लेफ्टिनेंट परमदीप जयपाल डागर, एमबीबीएस गौरव सुधीर डागर, एमबीबीएस आकांक्षा देवेंद्र धनखड़, बीडीएस हिमांशी अशोक डागर, बीडीएस श्रेष्ठा अजीत डागर, बीएमएस लोकेश रामनिवास , बीएमएस संदीप रिसाल सिंह, बीएएमएस सोनिया नरेश ग्रेवाल, एमबीबीएस लोकेश रोहिल्ला, रोशन लाल रोहिल्ला,एमबीबीएस योगेश डागर अजीत डागर ने भी इस मिट्टी में जन्म लेकर गांव को गौरवान्वित किया है। इस गांव में बाबा हरदयाणा या घोड़े वाले बाबा का मंदिर है। एक शिव मंदिर भी क्षेत्र के लोगों की आस्था का प्रतीक है।

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