आक्सीजन बाग : पायलेट प्रोजेक्ट के तहत चिह्नित गांवों का किया टीम ने दौरा
- डीसी श्याम लाल पूनिया की सोच - पौधरोपण कर उनके संरक्षण के साथ सुखद वातावरण मिलेगा आक्सीजन बाग से
- डीसी श्याम लाल पूनिया की सोच - पौधरोपण कर उनके संरक्षण के साथ सुखद वातावरण मिलेगा आक्सीजन बाग से - जिला के अंतर्गत आने वाले सात खंडों के 14 गांवों में लागू की जा रही योजना फोटो : 12 जागरण संवाददाता, झज्जर :
आक्सीजन बाग विकसित करने की सोच को मूर्त रूप देने में टीम जुट गई है। पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य सामने रखते हुए पायलेट प्रोजेक्ट के तहत अभी 14 गांवों में बाग लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। करीब 5 से 10 एकड़ भूमि में विकसित होने वाले आक्सीजन बाग बदलते दौर में अहम भूमिका निभाएंगे। मंगलवार को प्रशासन की ओर से नियुक्त आक्सीजन बाग प्रबंधन टीम ने गांवों का दौरा करते हुए की जाने वाली व्यवस्थाओं का आंकलन किया। इधर, एडीसी जगनिवास की देखरेख में व ट्रीमैन देवेंद्र सूरा के साथ प्रबंधन टीम ने मौके का मुआयना करते हुए भूमि की उत्पादन क्षमता, पानी आपूर्ति सहित अन्य पहलुओं पर फोकस करते हुए जमीन बाग के लिए देखी। डीसी श्याम लाल पूनिया ने आक्सीजन बाग प्रबंधन टीम को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और टीम से संपर्क बनाए रखते हुए ऑक्सीजन बाग हेतु उपलब्ध व्यवस्थाओं का ब्यौरा लिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन टीम के साथ ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी ही सुखद वातावरण की परिकल्पना को साकार करने में सहायक है। कहा कि जल्द ही पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिला के 7 खंडों के 14 गांवों में प्रशासन की ओर से ग्रामीणों की साझेदारी के साथ आक्सीजन बाग में पौधरोपण किया जाएगा और वहीं पर ही पौधों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही फेंसिग कार्य भी किया जाएगा ताकि पौधों का पेड़ बनने के साथ ही उचित तरीके से रखरखाव रहे। आक्सीजन बाग हेतु इन गांवों में पहुंची प्रबंधन टीम : झज्जर जिला में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत आक्सीजन बाग विकसित करने के लिए एडीसी जगनिवास की देखरेख में ट्रीमैन देवेंद्र सूरा सहित डीडीपीओ ललिता वर्मा, पंचायती राज विभाग के एक्सईएन अरविद बेनीवाल व अन्य सदस्यों ने गांव खरहर, मातन, खरमाण, खेड़का गुर्जर, गोयला कलां, शाहपुर मलिक, पेलपा, उखलचना, माछरौली, समसपुर माजरा, कासनी, कोहंद्रावली, मातनहेल, रूड़ियावास, झांसवा, बहु, दूबलधन किरमाण, चिमनी, मदाना कलां व तलाव गांव में 5 से 10 एकड़ भूमि का जायजा लेते हुए आगामी रूपरेखा तैयार की।