चलो गांव की ओर : कभी यहां बसने के लिए दुजाना के नवाब ने तीन शर्तें मान बुलाया था खजान सिंह को

-खेलों से लेकर देश सेवा तक गांव खानपुर खुर्द बना रहा अपनी अलग पहचान -525 साल पहले बसा था पावर नगरी के नाम से प्रसिद्ध गांव खानपुर खुर्द

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 08:55 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 08:55 PM (IST)
चलो गांव की ओर : कभी यहां बसने के लिए दुजाना के नवाब ने तीन शर्तें मान बुलाया था खजान सिंह को
चलो गांव की ओर : कभी यहां बसने के लिए दुजाना के नवाब ने तीन शर्तें मान बुलाया था खजान सिंह को

संवाद सूत्र,साल्हावास :

करीब 525 साल पहले बसा गांव खानपुर खुर्द आज अपनी अलग पहचान बना रहा है। जो जिले की पावर नगरी खानपुर के नाम से प्रसिद्ध है। इसका कारण यह है कि इसके साथ झाड़ली रेलवे स्टेशन व बिजली पावर प्लांट है। निवर्तमान सरपंच उदय सिंह उर्फ मुन्ना, रूपसिंह, सेठ तुलसी, नौरतन, विजय, दिलबाग, रघुवीर नंबरदार राजेराम, मास्टर गजेसिंह, विजयपाल, मास्टर सूबेदार अत्तरसिंह, संजय मास्टर चुरू, सूबेसिंह भूतपूर्व सरपंच राजेंद्र मलखे आदि ग्रामिणों ने बताया कि राजस्थान के चितौड़गढ़ से सांभर, सांभर से दिल्ली होते हुए झज्जर को छाजू सिंह ने बसाया। उसी छाजू सिंह के वंशज आज भी इस गांव में हैं। झज्जर से चलकर पहले चरखी दादरी के पास कपूरी की पहाड़ी के नजदीक बसा, वहां पर लगभग 4 वर्ष तक रहे।

इसी बीच गांव बहू में दुजाना के नवाब की छावनी थी। इस छावनी पर हमला कर दिया। तब नवाब ने कपूरी जाकर चौधरी खजान सिंह को बहू के पास बसने के लिए कहा। खजान सिंह ने नवाब के सामने तीन शर्त रखी पहली यदि कोई मुस्लिम समाज का लोग हमारी बस्ती में आएगा तो घुटने से नीचे तक धोती या तहमद बांध कर आएगा। दूसरी हम जजिया कर नहीं देंगे और बहन, बेटी की इज्जत की जाएगी। दुजाना के नवाब ने तीनों शर्त स्वीकार कर ली। जिसके बाद खजान सिंह व उनके दो भाई उध्धा सिंह व माध्धा सिंह वर्तमान के खानपुर कलां में बस गए। बाद में खजान सिंह तो खानपुर कलां में रह गए और उनके दोनों भाईयों उध्धा सिंह व माध्धा सिंह ने खानपुर खुर्द बसाया। जिसके नाम पर खानपुर खुर्द के दोनों पाने बसे हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि खानपुर खुर्द के वंशजों से ही यूपी में गांव ईसापुर बसा हुआ है। गांव खानपुर खुर्द की वर्तमान में आबादी करीब पांच हजार है व तीन हजार के करीब वोट हैं। गांव में रामसर जोहड़, पक्का तालाब, पुराना शिव मंदिर व मंधालिया धाम प्रसिद्ध हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में अनेक प्रतिभावान व्यक्तियों ने जन्म लिया, जो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। यहां के युवा देश की रक्षा में भी पहचान बना चुके हैं। खानपुर खुर्द में दादूपंथ के महान संत सर्वनंद महाराज हुए, जो काशी हिदू विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे7 वे इस विश्वविद्यालय में 25 वर्ष तक प्रधान आचार्य रहे। इनके नाम पर हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर प्रसिद्ध सर्वानंद घाट है। गांव के पहलवान सूबेसिंह ने अपनी प्रतिभा के बल पर प्रसिद्धि प्राप्त की। एएसआइ व पूर्व सैनिक अनिल कुमार पुत्र रामकिशन एशियाड में कांस्य पदक विजेता रहे हैं। भानू प्रताप पुत्र कालीचरण एक्सइन के पद पर रहे। गांव के शहीद रामकिशन व शहीद दशरथ ने सेना में रहकर अपना जौहर दिखाया। गांव में स्वतंत्रता सेनानी शेर सिंह व जुगलाल भी जन्मे। शेर सिंह जांगडा एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त व वर्तमान में हरियाणा जांगडा सभा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। भीम सिंह पुत्र इंद्र सिंह कर्नल पद पर, लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप पुत्र इंद्राज, कैप्टन स्व. नरेंद्र पुत्र दलीप सिंह, सवीना पुत्री रामचंद्र एमबीबीएस पीजीआई रोहतक, नेहा पिलानिया पुत्री बलजीत बाक्सिग में एशियाड व वर्ड गोल्ड विजेता ने खेल के क्षेत्र में विभिन्न प्रतियोगिता में विजेता रहकर अपने गांव का नाम रोशन किया।

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