केंद्र की खेल नीति की तर्ज पर प्रदेश में डेफ खिलाड़ियों को पैरा वर्ग में मिलें स्थान, उठी मांग

- सी-श्रेणी के बजाय ए-श्रेणी में डेफ खिलाड़ियों को स्थान दे प्रदेश सरकार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 06:10 AM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 06:10 AM (IST)
केंद्र की खेल नीति की तर्ज पर प्रदेश में डेफ खिलाड़ियों को पैरा वर्ग में मिलें स्थान, उठी मांग
केंद्र की खेल नीति की तर्ज पर प्रदेश में डेफ खिलाड़ियों को पैरा वर्ग में मिलें स्थान, उठी मांग

- सी-श्रेणी के बजाय ए-श्रेणी में डेफ खिलाड़ियों को स्थान दे प्रदेश सरकार

- भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ से डेफ खिलाड़ियों के प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात

- प्रदेशाध्यक्ष की अगुआई में जल्द सीएम से मिलेगा प्रतिनिधिमंडल फोटो : 03 जागरण संवाददाता, झज्जर : प्रदेश की खेल नीति में डेफ खिलाड़ियों को न्याय दिलाए जाने की मांग को प्रमुखता से उठाते हुए एक प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ से मुलाकात की है। जिन्होंने पक्ष रखते हुए बताया कि कुदरती तौर पर अन्याय के भागीदार बन चुके ऐसे सभी परिवारों के साथ आने वाले समय में न्याय हो, इसीलिए यह कदम उठाया जाना जरूरी है। कहा कि केंद्र की खेल नीति की तर्ज पर डेफ खिलाड़ियों को पैरा वर्ग में स्थान और सी-श्रेणी के स्थान पर ए-श्रेणी का सम्मान दिलाया जाए। ताकि, खेल से जुड़े रहने और रिटायरमेंट ले लेने के बाद भी वे सम्मान से समाज में जीवन यापन कर सकें।

इधर, प्रतिनिधिमंडल की ओर से रखे गए पक्ष से संतुष्ट होते हुए धनखड़ ने आश्वस्त किया कि वे शीघ्र ही सीएम मनोहर लाल से मुलाकात करते हुए यह मांग उठाएंगे। उनका प्रयास रहेगा कि डेफ खिलाड़ियों को भी प्रदेश की खेल नीति में वैसा ही स्थान प्राप्त हो। जिसके वे हकदार हैं। बॉक्स :

मुलाकात करने वालों में शामिल द्रोणाचार्य अवार्डी कोच महासिंह राव, पद्मश्री पहलवान विरेन्द्र उर्फ गुंगा, अर्जुन अवार्डी (बैडमिटन) रोहित भाकर, सुमित दहिया, अजय, ओलंपियन प्रदीप, अमित, बलराम डिस्कस थ्रो, अमित, राकेश एथलीट, राजकुमार जैतपुर सहित अन्य ने उठाई गई अपनी मांगों के बारे में बताया कि पैरा वर्ग के खिलाड़ियों का प्रारंभिक चरण में 10 श्रेणियों में वर्गीकरण करने के बाद खेल के मुताबिक शारीरिक दिव्यांगता के आधार पर काफी ज्यादा राहत दी जा रही हैं। जबकि, डेफ खिलाड़ियों के साथ न तो किसी तरह का वर्गीकरण किया गया है और न ही उन्हें अन्य किसी भी तरह की राहत दी जा रही हैं। शारीरिक दिव्यांगता के स्तर पर पैरा वर्ग को मिलने वाली अतिरिक्त राहत की वजह से खेलों में संख्या की दृष्टि से उनकी हाजिरी काफी कम रहती हैं। प्रतिभागिता के स्तर पर प्रतियोगिता में मुकाबला काफी कम रहने की वजह से उन्हें निरंतर फायदा भी हो रहा हैं। स्थान बदलने से बढ़ेंगे मेडल

केंद्र की खेल नीति में डेफ खिलाड़ी एवं उनके कोच को उसी जगह पर सम्मान दिया गया है, जहां पर ओलंपिक और पैरा वर्ग के खिलाड़ियों को स्थान दिया जा रहा है। नकद पुरस्कार के साथ-साथ सरकारी स्तर पर मिलने वाली हर सुविधा के लिए उन्हें पात्र बनाया गया है। पैरा ओलंपिक और डेफ ओलंपिक को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी की ओर से एक समान स्वीकार्यता और स्थान दिया जा रहा है। डेफ ओलंपिक पैरा से करीब 60 साल पुरानी है। ओलंपिक में भारतीय डेफ खिलाड़ियों ने पैरा खिलाड़ियों से कम मेडल अर्जित किए हैं। कारण साफ है कि पैरा वर्ग के खिलाड़ियों का प्रतिभागिता के स्तर पर मुकाबला काफी निम्न स्तर पर रहता है। ऐसे में एकरूपता बनाते हुए अगर डेफ खिलाड़ियों को पैरा वर्ग में स्थान दिया जाएगा तो अर्जित किए जाने वाले मेडल की संख्या भी बढ़ेगी।

chat bot
आपका साथी