रात का रिपोर्टर : रात का सफर नहीं रहा आसान
-रात को दूसरे जिलों के लिए नहीं बसें सड़कों पर घूमते बेसहारा बन रहे परेशानी
-रात को दूसरे जिलों के लिए नहीं बसें, सड़कों पर घूमते बेसहारा बन रहे परेशानी फोटो : 3 जेएचआर 1, 2, 3 जागरण संवाददाता,झज्जर :
रात का सफर नहीं रहा आसान। यह कहावत जिले से होकर गुजरने वालों मुसाफिरों के लिए सटीक बैठती है। जो यात्री बसों या फिर अन्य प्राइवेट वाहनों की चाह में झज्जर पहुंच जाते हैं, उन्हें रात को यात्रा के लिए वाहन भी नहीं मिलते। झज्जर में ही ठहरना पड़ता है। खासकर रात 9 बजे बाद बसों का पहिया थम जाता है। इसलिए 9 बजे के बाद बसों के इंतजार में झज्जर पहुंचने वालों को सुबह का ही इंतजार करना पड़ता है। बस स्टैंड पर बने रैन बसेरे में ठहरे राजस्थान के पिलानी निवासी अनिल ने बताया कि वह दिल्ली के मुंडका में वन विभाग के फोरेस्ट गार्ड की भर्ती की परीक्षा देकर वापस घर लौट रहा था। वह झज्जर करीब पौने दस बजे पहुंच गया, लेकिन आगे जाने के लिए कोई बस नहीं मिली। इसलिए उसे मजबूरन यहां पर ठहरना पड़ा है। सुबह बसें चलने के बाद घर के लिए रवाना होना पड़ेगा।
बता दें कि मंगलवार-बुधवार रात को दैनिक जागरण की टीम ने रात का रिपोर्टर कार्यक्रम के तहत शहर का निरीक्षण किया। इस दौरान शहर के चौक-चोराहों पर जगह-जगह बेसहारा पशुओं के झुंड मिल रहे थे। कूड़े के ढेर में मुंह मारते बेसहारा पशु लोगों को भी परेशान कर रहे हैं। रात के समय सड़क पर आने के कारण यात्रा करने वाले वाहन चालकों को दिक्कत हो जाती है। कई जगह तो बेसहारा पशु रास्ते को बाधित तक कर देते हैं। वहीं वाहन चालक भी इनसे डरते हुए दूर से गुजरना ही पसंद करते हैं। रात का रिपोर्टर कार्यक्रम के दौरान दैनिक जागरण की टीम नया बस स्टैंड स्थित रैन बसेरे में पहुंची जहां पर बिहार के सहरसा जिला निवासी पप्पु ने बताया कि उसे सरसों की कटाई के लिए कोसली जाना है। वह साढ़े 9 बजे झज्जर पहुंच गया था, लेकिन आगे जाने के लिए बस नहीं मिली। ऐसे में उन्हें मजबूरन झज्जर ठहरना पड़ा। जबकि उसके अन्य साथी कोसली में उसका इंतजार कर रहे थे। अगर बस चलती तो वह रात को ही कोसली पहुंच जाता।