नेहरू कालेज की प्राचार्या दीपा कुमारी हुई सेवानिवृत्त
- जेएलए सत्यप्रकाश और धर्मपाल माली को भी दी गई विदाई
जागरण संवाददाता, झज्जर : राजकीय स्नातकोतर नेहरू महाविद्यालय की प्राचार्या दीपा कुमारी, जेएलए सत्यप्रकाश और धर्मपाल सिंह माली सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयोजित समारोह में प्राचार्या और दोनों कर्मचारियों को विदाई दी गई। प्राचार्या दीपा कुमारी तीन दशकों तक महाविद्यालय शिक्षण सेवा में कार्यरत रहीं। उन्होंने राजकीय महाविद्यालय, भिवानी, रोहतक और झज्जर में अपनी सेवाएं दी।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ प्राध्यापक डा. प्रताप फलसवाल ने किया। महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डा. धनपत ग्रेवाल, डा. जगदीश राहड़, डा. सुरेन्द्र कुमार पूनिया, डा. प्रताप फलसवाल, सुरीला, डा. अजय कुमार, श्रीकिशन चाहर सहित महाविद्यालय के स्टाफ सदस्यों ने प्राचार्या और दोनों कर्मचारियों को सम्मानित किया। साक्षरता अभियान में रहा सक्रिय योगदान : शिक्षण के अलावा उनकी सामाजिक कार्याें में गहन रूचि रही और उन्होंने नब्बे के दशक में हरियाणा में चलाए गए साक्षरता अभियान में सक्रिय योगदान दिया। वे राष्ट्रीय साक्षरता अभियान की जिला संयोजक, स्वायत्त संस्था 'सर्च' रोहतक में सीनियर फेलो, विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद और कोर्ट की सदस्य तथा राष्ट्रीय सेवा योजना की जिला समन्वयक रही। उन्होंने महाविद्यालय में अगस्त 2018 में प्राचार्या पद को सुशोभित किया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सहयोग देने के लिए स्टाफ सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। शैक्षणिक और ढांचागत सुधार : प्राचार्या दीपा कुमारी के कार्यकाल के दौरान कई शैक्षणिक और ढांचागत सुधार हुए। इनमें पुराने भवन का जीर्णोद्धार, पार्किंग स्थल तथा शौचालयों का निर्माण, स्मार्ट क्लासरूम, पहली बार अभिभावक-शिक्षक मिलन समारोह का आयोजन तथा पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन का आयोजन प्रमुख हैं। झंडा फहराने का रिकार्ड : महाविद्यालय के जेएलए सत्यप्रकाश ने वर्ष 1984 में कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने 1984 से लगातार 26 जनवरी और 15 अगस्त के अवसर पर ध्वजारोहण कार्य में सहयोग देकर रिकार्ड स्थापित किया। वे अपने कार्यकाल के दौरान पूर्ण निष्ठावान, कर्त्तव्यनिष्ठ और ईमानदार रहे। बच्चों की तरह पाला पेड़-पौधों को : महाविद्यालय के माली धर्मपाल सिंह ने वर्ष 1993 में कार्यभार ग्रहण किया और नवम्बर 2021 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। वे हमेशा महाविद्यालय के पार्कों और पेड़-पौधों की देखरेख में लगे रहते थे। स्टाफ सदस्यों ने उनकी मेहनत की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने कॉलेज के पेड़ पौधों का अपने बच्चों की तरह संरक्षण किया।