चलो गांव की ओर : 700 साल पहले बसा गांव खानपुर कलां मे जन्मे पहलवान, संत व अधिकारी
झज्जर से पूर्वज चरखी दादरी के पास कपूरी की पहाड़ी के नजदीक बसे थे। वहां पर लगभग 4 वर्ष तक रहे।
संवाद सूत्र,साल्हावास : करीब 700 साल पहले बसा गांव खानपुर कलां आज अपनी अलग पहचान बना रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि राजस्थान के चितौड़गढ़ से सांभर, सांभर से दिल्ली होते हुए झज्जर को छाजू सिंह ने बसाया। उसी छाजू सिंह के वंशज आज भी इस गांव में हैं। झज्जर से पूर्वज चरखी दादरी के पास कपूरी की पहाड़ी के नजदीक बसे थे। वहां पर लगभग 4 वर्ष तक रहे। इसी बीच दुजाना के नवाब ने कपूरी जाकर चौधरी खजान सिंह को बहू के पास बसने के लिए कहा। चौधरी खजान सिंह के नाम पर गांव खानपुर कलां का नाम पड़ा। गांव संतों की भूमि रही है। गांव में नौबतनाथ, रामनाथ, बरजी माई, निहाल नाथ, प्रकाशनाथ आदि साधु संतों ने जन्म लिया है। गांव खानपुर कलां निवासी कप्तान सिंह गहलावत, अत्तर सिंह, राष्ट्रीय सूचना अधिकार एवं मानवाधिकार पर्यावरण संरक्षण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नरेश कुमार, रमेश शर्मा, गोगा कमेटी के प्रधान रामफल, राजेंद्र, राज, शेरसिंह, पूनम पंडित, पूर्व प्रधान गंगामन, रामौतार नंबरदार, इंद्र सिंह नंबरदार आदि ने बताया कि गांव में अनेक पहलवानों ने जन्म लिया और गांव का नाम रोशन किया। पहलवानों में रघुवीर सिंह गहलावत, शेरसिंह जाखड़, छोटूराम पहलवान, बलवान पहलवान, मड्डू पहलवान, कर्णसिंह पहलवान, जितल पहलवान, विक्रम पहलवान, चांद पहलवान आदि शामिल हैं। वहीं लोकगायक व कवियों ने भी गांव में जन्म लेकर अपनी पहचान बनाई। गांव में महाशय संतराम दहिया, पंडित रामचंद्र पृथ्वी सिंह (सूरदास) व झगडूराम आदि जन्मे। खानपुर कलां में धर्मपाल सिंह दहिया इंस्पेक्टर से सेवानिवृत्त, हरदेव सिंह दहिया इंस्पेक्टर से सेवानिवृत्त, कर्ण सिंह दहिया वर्तमान में पुलिस इंस्पेक्टर, रामफल इंदौरा पुलिस एएसआइ, सुमित पुलिस इंस्पेक्टर, राजबीर गहलावत एएसआइ पद पर कार्यरत हैं। डेविड दहिया ने आइआइटी करके इंजीनियरिग के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। सुमन पुत्री रामकिशन ने सेना में लेफ्टिनेंट बनकर गोव का नाम रोशन किया तो वहीं एकता पुत्री बलराम एमबीबीएस पीजीआइ रोहतक में कार्यरत हैं, निशा गहलावत पुत्री चरणसिंह एमबीबीएस एमडी हैं। खानपुर कलां की निवर्तमान सरपंच राजकुमारी ने बताया कि गांव की आबादी करीब दो हजार है। यहां के वंशजों ने ही दिल्ली में गांव इसापुर बसाया था।