चलो गांव की ओर : देश सेवा व भाईचारे की मिसाल कायम कर शेरिया ने बनाई पहचान

- शेरिया के 600 से अधिक युवा कर रहे देश सेवा 400 से अधिक हो चुके सेवानिवृत्त

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:20 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 06:20 AM (IST)
चलो गांव की ओर : देश सेवा व भाईचारे की मिसाल कायम कर शेरिया ने बनाई पहचान
चलो गांव की ओर : देश सेवा व भाईचारे की मिसाल कायम कर शेरिया ने बनाई पहचान

- शेरिया के 600 से अधिक युवा कर रहे देश सेवा, 400 से अधिक हो चुके सेवानिवृत्त फोटो : 15 जेएचआर 6, 7 पूर्ण कौशिक, बेरी : देश सेवा हो या फिर भाईचारे की मिसाल, दोनों में ही शेरिया ने अपनी अलग पहचान बनाई है। यहां के लोग मिलजुलकर तो रहते ही हैं, साथ ही बच्चों में देश सेवा का जज्बा भी भरते हैं। ताकि सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करें और जरूरत पड़ने पर प्राणों की आहुति देते हुए भी पीछे ना हटें। जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर बसे गांव शेरिया ने भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए अपनी एक खास पहचान बनाई है। लोगों के धार्मिक व मिलनसार स्वभाव की बात करें या फिर देश सेवा के प्रति ग्रामीणों के जुनून की। दोनों में ही शेरिया के ग्रामीण अग्रणी है। बात आजादी के दौर की करें या फिर मौजूदा समय की। हर समय गांव के युवाओं ने देश की सेवा के लिए आगे कदम बढ़ाते हुए दुश्मन को धूल चटाने का काम किया। गांव के युवा देश सेवा के लिए आर्मी में भर्ती होने का जज्बा रखते हैं और अभ्यासरत हैं। ग्रामीण सुखबीर ने बताया कि गांव शेरिया करीब 800 वर्ष पूर्व बसाया गया था। उस समय राजस्थान से शेरसिंह नामक व्यक्ति अपने चार भाइयों के साथ गांव शेरिया में आए थे। उन्हीं के नाम से गांव का नाम शेरिया पड़ा था। सुखबीर ने बताया कि राजस्थान से शेरसिंह नामक व्यक्ति अपने भाईयों के साथ एक जाल (पेड़) के नीचे आकर रुके। जिस जाल के नीचे आकर रुके थे वो जाल गांव में आज भी है। उसके चारों ओर चबूतरा बनवा दिया है, जिसकी वर्तमान समय में पूजा होती है। सभी ग्रामीण हर त्योहार को मिल-जुलकर मनाते है। जिससे कि एकता का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करते है। गांव का बढ़ता विकास दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहा है। मूलभूत सुविधाओं के नाम पर गांव में एक राज्य स्तरीय स्टेडियम, दो स्कूल, चार मंदिर, चार आंगनबाड़ी, एक पशु अस्पताल है। ग्रामीण खेतीबाड़ी व पशुपालन करने के साथ-साथ नौकरी-पेशा भी करते है। फिलहाल गांव के करीब 600 युवा सेना में देश सेवा कर रहे हैं। जो क्षेत्र में सबसे बड़ी संख्या है। वहीं करीब 400 पूर्व सैनिक हैं, जो देश सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए। गांव के लिगानुपात में भी काफी सुधार आया है। इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक किया, जिसके सकारात्मक परिणाम आए। गांव में दीपसिंह अहलावत ब्रिगेडियर के पद पर, कुलदीप भारद्वाज कर्नल के पद पर व सितेंद्र अहलावत लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत हैं। गांव की खिलाड़ी मानसी ने कुश्ती में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सात मेडल व दीपांशु ने कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर गांव व जिले का नाम रोशन किया है। ग्रामीण सोमबीर ने बताया कि गांव में एक बहुत पुरानी मसानी नाम की जोहड़ी है। जिसमें नहाने से व उसकी मिट्टी लगाने से शरीर के मश झड़ जाते हैं। आसपास के लोग प्रतिदिन जोहड़ी में नहाने के लिए आते हैं।

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