चलो गांव की ओर : देश भक्ति से लेकर आपसी भाईचारे का केंद्र बना छप्पार

- 600 साल पहने बसा था गांव छप्पार दूसरों के लिए बना मिसाल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 06:20 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 06:20 PM (IST)
चलो गांव की ओर : देश भक्ति से लेकर आपसी भाईचारे का केंद्र बना छप्पार
चलो गांव की ओर : देश भक्ति से लेकर आपसी भाईचारे का केंद्र बना छप्पार

गोपाल कृष्ण, माछरोली : देश भक्ति हो या फिर आपसी भाईचारा, क्षेत्र में सभी का केंद्र छप्पार है। यहां के सपूतों ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने से भी कदम कभी पीछे नहीं हटाए। वहीं सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं। साथ ही सभी लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं। जो दूसरों के लिए भी मिसाल पेश कर रहे हैं। सभी ग्रामीण मिलकर विकास के पथ पर अग्रसर हैं। यहां हर कोई अपने परिश्रम व काबिलियत के दम पर कुछ कर गुजरने का जज्बा रखता है। गांव छप्पार के ग्रामीणों ने बताया कि गांव करीब 600 वर्ष पूर्व बसाया गया था। उस समय पूर्वज यहां पर बसे थे। इसके बाद धीरे-धीरे यहां पर गांव बन गया। सभी लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं। भाईचारे व प्रेमभाव के साथ सभी कार्यों को करते हैं। एक-दूसरे की जरूरत समझते हैं और एक-दूसरे के लिए मदद करने में भी पीछे नहीं हटते। गांव के अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर हैं। हालांकि कुछ लोग नौकरी पेशा भी करते हैं। गांव में बाबा गंगादास को ग्राम देवता के रूप में माना जाता है। जिनका गांव में मंदिर भी बनाया गया है। गांव छप्पार ही नहीं आसपास के गांव गांवों में भी बाबा गंगादास की मानता है, इसलिए लोग मंदिर में पहुंचते हैं। गांव छप्पार निवासी मनीषा तक्षक पुत्री उमेद सिंह तक्षक भारतीय नौ सेना में फ्लाइंग आफिसर के रूप में तैनात रही। वहीं कर्नल नरेंद्र पुत्र रणसिंह कर्नल के पद पर, मनोज कुमार पुत्र हंसराज कुमार लेफ्टिनेंट, आनंद पुत्र रघुबीर बीएसएफ में कमांडेंट, विवेक पुत्र प्रो. जीतराम नेवी में कमांडर, रोहित पुत्र जयभगवान नेवी में लेफ्टिनेंट रहे हैं। वहीं अन्य लोग भी कई बड़े पदों पर रहे और अपनी अलग पहचान बनाई है। जो दूसरों के लिए भी प्रेरणादायी रहे हैं। गांव में जन्म लेने वाले अनेक लोगों ने अपनी काबिलियत की बदौलत अपनी अलग पहचान बनाई है। साथ ही गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। गांव छप्पार में जन्मे सपूतों ने देश की रक्षा में भी अहम भूमिका निभाई है। देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति भी देने से भी पीछे नहीं हटे। नायक रेडियो आपरेटर राजकपूर उर्फ राजा स्वामी पुत्र मा. रघुनाथ स्वामी की बटालियन कश्मीर घटी में तैनात थी। इस दौरान 30 सितंबर 1990 को आतंकियों से लोहा लेते हुए राजकपूर ने भारत माता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। वहीं शीशराम तक्षक पुत्र राम स्वरूप तक्षक 1962 भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए। जो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत का काम कर रहे हैं। वहीं गांव के अनेक सपूत देश की रक्षा करने के लिए सेना में शामिल हुए। देश की रक्षा करने में गांव के जवान कभी भी पीछे नहीं हटे। बल्कि अपने साम‌र्थ्य का लोहा मनवाया है।

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