16 फरवरी को शादी, 19 मई को ली अंतिम सांस, 25 मई को अंतिम संस्कार
लाडले के पाíथव शरीर के साथ जब नौसेना की गाड़ी ने गांव में प्रवेश किया तो अमर शहीद गौरव की जय हो के नारे लगने लगे। गांव की हर गली में लोग अपने लाडले गौरव को अंतिम विदाई देने के लिए खड़े दिखाई दिए।
जागरण संवाददाता, झज्जर : लाडले के पाíथव शरीर के साथ जब नौसेना की गाड़ी ने गांव में प्रवेश किया तो अमर शहीद गौरव की जय हो के नारे लगने लगे। गांव की हर गली में लोग अपने लाडले गौरव को अंतिम विदाई देने के लिए खड़े दिखाई दिए।
पाíथव शरीर घर पहुंचने के बाद शहीद गौरव की मां, पिता, पत्नी, भाई, बहन और अन्य को संभालना काफी मुश्किल हो रहा था। छह दिन के इंतजार में जिस तरह की तड़प परिवार के लोगों में दिखाई दी, उसे देखकर हर किसी की आंख नम हो गई। आसपास की छतों पर खड़ी महिलाओं की आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी। अंतिम विदाई के समय तक माहौल ऐसा रहा कि हर कोई एक-दूसरे को दिलासा दे रहा था। विधायक गीता भुक्कल, एसडीएम शिखा, डीएसपी शमशेर सिंह, थाना प्रभारी राजेश कुमार सहित अन्य पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने शहीद को नमन करते हुए अपने श्रद्धासुमन अíपत किए। इधर, ग्रामीणों ने गांव के स्टेडियम का नाम गौरव के नाम से एवं शौर्य चक्र दिए जाने की मांग उठाई है। 16 फरवरी को हुई थी परिवार के लाडले की शादी
वॉलीबॉल एवं क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी गौरव दत्त शर्मा सुपुत्र नरेश शर्मा आठ साल पहले नौ सेना में भर्ती हुए थे। बचपन से ही प्रतिभावान गौरव अपनी कार्यशैली के आधार पर नौसेना में कई बार सम्मानित हुए। गौरव दत्त शर्मा का इसी साल 16 फरवरी को धारोली गांव की पूनम से विवाह हुआ था। सोमालिया के नजदीक 19 मई को इंडियन नेवी के शिप आइएनएस सुमेधा में हुए एक हादसे में अपने प्राणों की आहुति देने वाले गांव कबलाना के लाडले जेसीओ गौरव दत्त शर्मा 15 मार्च को अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। शेखूपुर के एमआरएम स्कूल से दस जमा दो की परीक्षा के बाद उनका चयन हुआ था। गौरव के पिता इलेक्ट्रिशियन और भाई भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं।