धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए संगठित होना जरूरी : स्वामी कृष्णानन्द

अपने धर्म व संस्कृति के संबंध में अपने बचों से लगातार वार्ता करते रहना चाहिए।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 06:12 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 06:12 PM (IST)
धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए संगठित होना जरूरी : स्वामी कृष्णानन्द
धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए संगठित होना जरूरी : स्वामी कृष्णानन्द

जागरण संवाददाता, झज्जर : अपनी प्राचीन संस्कृति और धर्म को बचाए रखने के लिए हिन्दुओं का संगठित होना जरूरी है। यह बात हरिद्वार कनखल स्थित स्वामी चेतनानन्द गिरिजी आश्रम से पधारे स्वामी कृष्णानन्द महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आज ऐसा प्रतीत होने लगा है जैसे हिन्दु धर्म पर चौतरफा हमला करने की तैयारी चल रही है। स्वामी जी ने कहा कि अगर हमने अपनी प्राचीन

संस्कृति को बचाना है और धर्म को जीवित रखना है तो हमें संगठित होकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि अपने धर्म व संस्कृति के संबंध में अपने बच्चों से लगातार वार्ता करते रहना चाहिए। स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है। आज की चकाचौंध भरी जिदगी में युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से दूर होती नजर आती है। इसलिए हमें अपने छोटे बच्चों को धार्मिक कार्यकर्मों में अवश्य लाना चाहिए। ताकि बच्चे संत महात्माओं की ज्ञानवर्धक बाते सुनकर एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें। स्वामी कृष्णानन्द ने कहा कि आज हर व्यक्ति किसी न किसी कारण तनावग्रस्त नजर आता है। तनाव से अगर छुटकारा पाना है तो हमें धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर शिरकत करनी होगी। वहीं स्वामी रामानन्द महाराज ने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहते हुए व्यक्ति का व्यस्त रहना स्वाभाविक है। लेकिन इसके बाद भी हमें थोड़ा समय भगवान की स्तुति में लगाना चाहिए। इस मौके पर मुलतान सभा के प्रधान संजय भाटिया, सरपरस्त डा. नन्द सरदाना, मोहन लाल चुघ, तिलक राज, वरिष्ठ उपप्रधान जगदीश गेरा, उपप्रधान अश्विनी अरोड़ा, जग्गी चोपड़ा, रविन्द्र ग्रोवर, जैकी ग्रेवर सहित अन्य भी मौजूद रहे।

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