बाह्य आडंबरों के बजाय जरूरत है आत्मा को सत्संग से प्रकाशित करने की : प्रदीप
- झज्जर आर्य समाज में हुए ओजस्वी प्रवचन - वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुआ यज्ञ
- झज्जर आर्य समाज में हुए ओजस्वी प्रवचन
- वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुआ यज्ञ फोटो : 07 जागरण संवाददाता, झज्जर : मनुष्य प्रभु को मंदिरों, गिरजाघरों में जाकर ढूंढता है, जबकि सच्चाई यह है कि परमात्मा निराकार है और सर्वव्यापक है। प्रभु को पाने के लिए बाह्य आडंबरों के बजाय अपनी आत्मा को प्रकाशित करना अति आवश्यक है और आत्मा को प्रकाशित करने का एकमात्र साधन सत्संग है। आर्य समाज झज्जर के पुरोहित प्रदीप शास्त्री ने रविवार को साप्ताहिक वैदिक यज्ञ के दौरान कहा कि जब तक मनुष्य के भीतर से अज्ञान और अविद्या नष्ट नहीं होगी तब तक परमात्मा के दर्शन कर पाना असंभव है। मूर्ति पूजा को मनुष्य की अज्ञानता बताते हुए कहा कि परमात्मा को निराकार है और हम लोग पत्थरों की मूर्ति का पूजन अर्चन कर परमात्मा को पाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि निराकार परमात्मा ही सर्वेश्वर है और परमात्मा को पाने का ज्ञान सत्संग और वेदों में बताए मार्ग पर चलने से प्राप्त होता है। प्रदीप शास्त्री ने कहा कि मनुष्य न केवल अपनी अज्ञानता बल्कि अन्य कई कारणों से भी परमात्मा से स्वत: ही दूर हो जाता है। उन्होंने कहा कि दूसरों में दोष ढूंढना, प्रतिवाद करना, तिरस्कार करना, दूसरों के अनुभवों की अवहेलना करने से भी परमात्मा से दूरी बनती है। अपने ही भरण पोषण में लगे रहकर अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु अन्य लोगों को नुकसान पहुंचाने वाला व्यक्ति भी कभी परमात्मा के नजदीक नहीं पहुंच सकता। उन्होंने कहा कि अपनी ऐसी गलतियों का प्रायश्चित कर मनुष्य को परोपकार करते हुए परमात्मा की प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए। पुरोहित प्रदीप शास्त्री के ब्रह्मत्व में हुए यज्ञ में आर्य दीपचंद, आर्य भगवान सिंह, आर्य जितेंद्र बराणी व पंडित जय भगवान आर्य ने मधुर भजनों की प्रस्तुति भी दी। इस मौके पर रिटायर्ड बीईओ वीके नरुला, लाला राम अवतार, आत्म प्रकाश चुघ सहित बड़ी संख्या में आर्यजन उपस्थित रहे।