2005 में बीसी महिला के खाते में आई थी प्रधानी, अब बीसी श्रेणी में पुरुष के हिस्से में आया प्रतिनिधित्व

- बीसी श्रेणी में सीट जाने के बाद घटेगी दावेदारों की संख्या

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 08:20 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 08:20 AM (IST)
2005 में बीसी महिला के खाते में आई थी प्रधानी, अब बीसी श्रेणी में पुरुष के हिस्से में आया प्रतिनिधित्व
2005 में बीसी महिला के खाते में आई थी प्रधानी, अब बीसी श्रेणी में पुरुष के हिस्से में आया प्रतिनिधित्व

- बीसी श्रेणी में सीट जाने के बाद घटेगी दावेदारों की संख्या

- सामान्य वर्ग से संबंध रखने वाले दावेदारों के फोन हुए बंद

- चुनाव का काउंटडाउन शुरु, शतरंज की बिसात सजकर तैयार जागरण संवाददाता, झज्जर :

वर्ष 2005 में पालिका का प्रधान पद बीसी श्रेणी की महिला के हिस्से आया था, जिसमें कमला जांगड़ा चेयरपर्सन बनी। इसी कार्यकाल में कलावती गुर्जर ने राजनीतिक उठापटक के चलते प्रधान पद को सुशोभित किया। अब करीब 16 साल के बाद प्रधान पद बीसी की श्रेणी में आया है। जिसमें आरक्षण के बाद यह पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। कुल मिलाकर, पिछले कई दिनों से चला आ रहा इंतजार मंगलवार को पंचकूला में हुए ड्रा के बाद समाप्त हो गया है। परिषद के कार्यकारी अधिकारी अरूण नांदल ने बताया कि विभागीय स्तर पर जारी होने वाले आदेशानुसार आगामी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। दरअसल, मंगलवार को हुए इस ड्रा पर लोगों की निगाहें टिकी हुई थी। कारण कि पहली दफा चेयरमेन पद के लिए सीधा चुनाव होने है। आरक्षण के माध्यम से तय हुआ है कि चेयरमैन की सीट किसकी झोली में जानी है। हालांकि, सामान्य श्रेणी में चेयरमेन का पद आता तो क्षेत्र में राजनैतिक गतिविधियां बहुत ज्यादा तेजी से बढ़नी थी। वैसे बीसी की श्रेणी में आने के बाद दावेदारों की संख्या तो घटेगी। लेकिन, रोमांच कम नहीं होगा। सामान्य वर्ग से संबंध रखने वाले दावेदारों के फोन हुए बंद :

दरअसल, चेयरमेन पद के लिए होने वाले इन चुनाव पर बहुत से लोगों की नजर थी। सामाजिक स्तर पर भी उनकी गतिविधियां काफी ज्यादा बढ़ने लगी थी। जिससे साफ दिख रहा था कि अगर यह सीट सामान्य श्रेणी के लिए आईं तो चुनाव में उम्मीदवारों की लंबी सूची होगी। बहरहाल, प्रधानी बीसी श्रेणी में जाने के बाद ऐसे सभी लोगों की योजनाओं को झटका तो लगा है। कुछ दावेदारों के फोन भी बंद हो गए। जब उन्हें यह पता चला कि प्रधानी सामान्य श्रेणी में नहीं आईं। आने वाले दिनों में ऐसे भी दावेदारों का झुकाव किस ओर रहेगा, यह देखने लायक होगा। क्योंकि, जमीनी स्तर पर तो यह लोग भी अपनी पूरी तैयारी किए हुए थे। चुनाव का काउंटडाउन शुरु, शतरंज की बिसात सजकर तैयार :

शहर में शानदार ढंग से होर्डिंग वार भी चल रही है। राजनैतिक पार्टियों के स्तर पर भी अभी तय होना है कि चुनाव कैसे लड़े जाएंगे। कुल मिलाकर, बहुत से चेहरे तो ऐसे भी हैं जो कि पार्टी के स्तर पर टिकट दिए जाने का इंतजार कर रहे हैं।

जो कि परिषद की राजनीतिक में दिलचस्पी रखते हैं, वह भी अभी से सक्रिय हो गए है। दरअसल, परिषद का पहला चुनाव राजनीतिक पार्टियां अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगी या नहीं इससे पहले इस बात की उत्सुकता बनी हुई है। दूसरी ओर, वार्डबंदी के बाद भी वार्डों की संख्या नहीं बढ़ाई गई हैं। वर्ष 2000 में महिला चेयरपर्सन के रूप में सीट घोषित हुई थी, तब उषा बंसल पहली चेयरपर्सन बनी थी। 2005 में चेयरमेन शिप बीसी कैटेगरी में चली गई और कमला जांगड़ा चेयरपर्सन बनी। 2009 बीसी सीट पर ही कलावती गुर्जर बनी। बाद में वर्ष 2016 में फिर ये सीट महिला जनरल को दी गई। जिस पर मौजूदा चेयरपर्सन कविता नंदवानी ने अपना कार्यकाल पूरा किया हैं। स्थानीय निकाय झज्जर का इतिहास देखें तो चेयरमैन और चेयरपर्सन सीट पर सबसे ज्यादा लाभ जनरल कैटेगरी को मिला है।

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