बाजरे की शुरू नहीं हुई सरकारी खरीद तो घाटे में बेचने के लिए मजबूर किसान

- अब तक 59 किसान पहुंच चुके मंडी बुधवार को पहुंचे 27 किसान - सरकार ने बाजरे का एमएसपी किया 2250 निर्धारित और बिक रहा 1100-1400 रुपये

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 07:20 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 07:20 PM (IST)
बाजरे की शुरू नहीं हुई सरकारी खरीद तो घाटे में बेचने के लिए मजबूर किसान
बाजरे की शुरू नहीं हुई सरकारी खरीद तो घाटे में बेचने के लिए मजबूर किसान

जागरण संवाददाता,झज्जर :

बाजरे की सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है। जिस कारण किसानों की चिता भी बढ़ने लगी है। जहां एक तरफ किसानों को रबी की फसलों की बिजाई करने के लिए रुपयों की जरूरत व दूसरी तरफ बाजरे को घर पर लंबे समय तक सुरक्षित रखने की चिता का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अब धीरे-धीरे किसान मजबूरीवश बाजरे को घाटे के साथ बेचने के लिए मंडी में पहुंचने आरंभ हो गए है। अब तक झज्जर अनाज मंडी में कुल 59 किसान बाजरा बेचने पहुंचे हैं, जिनमें से 27 किसान बुधवार को पहुंचे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि मंडी में बाजरा बेचने के लिए पहुंचने वाले किसानों की संख्या में इजाफा होने लगा है। सरकार ने बाजरे का एमएसपी 2250 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है। जबकि, झज्जर अनाज मंडी में बिकने वाले बाजरे का भाव 1100-1400 रुपये ही मिल पा रहा है। बहुत अच्छे बाजरा ही 1400 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक पा रहा है। ऐसे में किसानों को अपना बाजरा एमएसपी से 850-1150 रुपये प्रति क्विंटल कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है। जिन किसानों ने एमएसपी पर बाजरा बेचकर अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी, वे अब औने-पौने दामों पर बेचने घाटा उठा रहे हैं। हालांकि सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत 600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से घाटे के पूर्ति करने के लिए देने की बात कही है। अगर सरकार 600 रुपये प्रति क्विंटल भी किसानों को मिलता है तो भी किसानों का घाटा पूरा नहीं हो पा रहा। बढ़ने लगी किसानों की संख्या

बाजरे की सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है। जिस कारण अब किसान बिना सरकारी खरीद शुरू हुए ही कम दामों पर बाजरा बेचने को मजबूर हैं। एक अक्टूबर के बाद से ही एकाध किसान मंडी में पहुंचने का सिलसिला जारी है। अब तक कुल 59 किला झज्जर अनाज मंडी में बाजरा बेचने के लिए पहुंचे हैं। इनमें से 27 किसान बुधवार को बाजरा बेचने के लिए मंडी में पहुंचे। जो कुल किसानों का करीब आधा है। किसान अब कोई जरिया नहीं दिखने के कारण मंडी में कम कीमत पर भी बेचने को मजबूर हैं। बाक्स :

गांव खखाना निवासी विनोद ने बताया कि उसने अपने बाजरे का आनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवाया था, लेकिन अब सरकारी खरीद शुरू नहीं होने के कारण मजबूरी में बाजरा बेचना पड़ रहा है। करीब 20-25 दिन पहले बाजरे की लावणी व कढ़ाई कर चुके हैं। इसके बाद से बाजरा घर पर ही रखे हुए थे। अब तक बाजरे की सरकारी खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन सरकारी खरीद तो शुरू नहीं हुई। -बाजरे की सरकारी खरीद को लेकर अभी तक कोई शेड्यूल जारी नहीं हुई है। आढ़ती प्राइवेट खरीद कर रहे हैं। बाजरा खरीद को लेकर कर्मचारी की गेट पर ड्यूटी लगा दी है। जिससे कि बाजरा लेकर पहुंचने वाले किसानों के गेटपास काटे जा सके।

विजय सिंह, सहायक सचिव, मार्केट कमेटी, झज्जर।

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