हरियाली के साथ घर में आए खुशहाली, परिवार के हर सदस्य का बना जुड़ाव
करीब 20 साल पहले गांव सिलाना से झज्जर आकर बसे विजेंद्र वर्मा व उनकी पत्नी राजबाला को गांव से ही पेड़ पौधे लगाने का शौक था।
जागरण संवाददाता, झज्जर : करीब 20 साल पहले गांव सिलाना से झज्जर आकर बसे विजेंद्र वर्मा व उनकी पत्नी राजबाला को गांव से ही पेड़ पौधे लगाने का शौक था। यहां पर आकर उन्होंने अपने घर की छत पर गमले लगाए और सुबह व शाम को खूब सेवा की। समय बीतने के साथ जब वे बड़े हुए थे गमलों में पानी से रिसाव से नुकसान भी हुआ। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और ना ही अपने शौक के साथ समझौता किया। ऐसे में उन्होंने घर की छत पर रखे हुए गमलों को मकान के साथ-साथ ग्रिल बनवाकर लगाना शुरु कर दिया। विशेष तौर पर मकान के उस हिस्से को तैयार करवाया। ताकि, हरियाली के साथ परिवार में खुशहाली आए। खूब बढ़ाई पौधों की संख्या
मकान के साथ-साथ पेड़ पौधों की संख्या भी काफी बढ़ा है। आसपास के लोगों का कहना है कि जब यहां से गुजरते हैं तो फूलों और पेड़ों की भीनी भीनी महक उनके मन को लुभाती हैं। विजेंद्र वर्मा व राजबाला ने बताया कि उनकी इस बगिया में अनेक तरह के औषधीय पौधे, खुशबूदार फूलों के पौधे, तीन तरह की तुलसी तथा अन्य पेड़ पौधे लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि पेड़ पौधों की सेवा करने से मन में एक अलग तरह की शांति मिलती है। पौधों के साथ परिवार जैसा जुड़ाव बनने लगता है। पौधों के बड़ा होने के साथ जो सुख और शांति मिलती है, उसका अहसास गजब का है। परिवार के हर सदस्य का हुआ जुड़ाव पौधों से प्रेम की इस श्रृंखला में परिवार के हर सदस्य का भी जुड़ाव बना हुआ है। घर का छोटा और बड़ा सदस्य, सुबह और शाम पौधों की सेवा करने के कार्य को नहीं भूलता। बात पिछले साल की हो या मौजूदा लॉकडाउन की, इन दिनों में तो गमलों को काफी बढ़ा दिया है। इन दिनों में जिस तरह से ऑक्सीजन की कमी हम सभी को प्रतीत हो रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि पेड़ पौधों से हम सभी को दोस्ती कर लेनी चाहिए। ऐसा होने से निश्चित ही पर्यावरण के साथ-साथ हमें भी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होगा।