गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस पर हुआ पाठ, लगाई छबील

- धर्म की खातिर हुए थे बलिदान बच्चों को समझाया गया इतिहास

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 06:20 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 06:20 AM (IST)
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस पर हुआ पाठ, लगाई छबील
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस पर हुआ पाठ, लगाई छबील

- धर्म की खातिर हुए थे बलिदान, बच्चों को समझाया गया इतिहास

- कोविड प्रोटोकाल के तहत नहीं हुए बड़े आयोजन फोटो : 01 तथा 02 जागरण संवाददाता, झज्जर : शहीदों के सरताज कहे जाने वाले वीर योद्धा श्रीगुरु अर्जुन देव जी का सोमवार को शहीदी दिवस मनाया गया। कोविड प्रोटोकाल की वजह से बड़े आयोजन तो नहीं हुए। लेकिन, जिला मुख्यालय स्थित गुरुद्वारों सहित ग्रामीण आंचल में भी सुखमनी साहिब का पाठ हुआ। गुरु जी की याद में छबील लगाई गईं और लोगों को संदेश दिया गया कि सेवा में लगे रहने से ही जीवन का सच्चा सुख मिलता है।

पंचायती गुरुद्वारा में पाठ करते हुए पाठी साजन सिंह ने बताया कि 1606 में आज ही के दिन मुगल बादशाह जहांगीर ने उनकी जघन्य तरीके से यातना देकर हत्या करवा दी थी। इसी कारण हर साल आज ही के दिन उनका शहीदी दिवस मनाया जाता है। वे सिखों के पांचवें गुरु थे। उन्होंने अपना जीवन धर्म और लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया। वे दिन रात संगत और सेवा में लगे रहते थे। वे सभी धर्मों को एक समान दृष्टि से देखते थे। गुरुद्वारा सभा के प्रधान ईश्वर शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल साल 1563 में हुआ था। वे गुरु रामदास और माता बीवी भानी के पुत्र थे। उनके पिता गुरु रामदास स्वयं सिखों के चौथे गुरु थे, जबकि उनके नाना गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु थे। गुरु अर्जुन देव जी का बचपन गुरु अमर दास की देखरेख में बीता था। उन्होंने ही अर्जुन देव जी को गुरमुखी की शिक्षा दी। साल 1581 में गुरु अर्जुन देव सिखों के पांचवे गुरु बने। उन्होंने ही अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी, जिसे आज स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं इस गुरुद्वारे का नक्शा स्वयं अर्जुन देव जी ने ही बनाया था। उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का संपादन भाई गुरदास के सहयोग से किया था। उन्होंने रागों के आधार पर गुरु वाणियों का वर्गीकरण भी किया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में स्वयं गुरु अर्जुन देव के हजारों शब्द हैं। उनके अलावा इस पवित्र ग्रंथ में भक्त कबीर, बाबा फरीद, संत नामदेव, संत रविदास जैसे अन्य संत-महात्माओं के भी शब्द हैं। सोमवार को यहां आयोजित हुए कार्यक्रम में मुख्य रुप से गौरव तनेजा, अंकुर खुराना, अमित सचदेवा, गोविद खत्री, बिट्टू गिरोत्रा, मानव, इशु मेहता, विनीत पोपली, देव डोगरा, मनीष टक्कर, गोरी, माधव पोपली, आशीष चावला, नितिन गेरा, लकी सतीजा, तरुण गोस्वामी आदि ने मुख्य रुप से सेवा की ।

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