कोयला के बढ़ते दाम की वजह से ईंटों का रेट छह हजार रुपये, एक तिहाई के आदेशों को वापिस लें सरकार

- भट्ठा स्वामियों ने कर रखा हैं अग्रिम भुगतान अब दोहरी मार का खतरा - इधर भट्ठा मालिकों के दूसरे गुट ने बुलाई 31 अक्टूबर को मीटिग - इधर कोयला की किल्लत की वजह से बढ़ रहे ईंटों के दाम ग्राहकों को भी हो आर्थिक नुकसान

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:15 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:15 PM (IST)
कोयला के बढ़ते दाम की वजह से ईंटों का रेट छह हजार रुपये, एक तिहाई के आदेशों को वापिस लें सरकार
कोयला के बढ़ते दाम की वजह से ईंटों का रेट छह हजार रुपये, एक तिहाई के आदेशों को वापिस लें सरकार

जागरण संवाददाता, झज्जर : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले झज्जर जिला में इन दिनों वैसे ही ईंट-भट्ठों की चिमनी शांत है। कारण कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के आदेश पर 1 मार्च से 30 जून तक क्षेत्र में ईंट भट्ठे चलाए जाते हैं। लेकिन, मौजूदा समय के हालात को देखें तो भट्ठा स्वामियों के लिए बढ़ती हुई महंगाई और एक समय में एक तिहाई भट्ठें चलने के आदेशों ने उनकी हर स्तर पर परेशानी बढ़ा दी है। सभी विषयों को केंद्र में रखते हुए जिला मुख्यालय पर स्थित छोटू राम धर्मशाला में बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें तय हुआ कि आने वाले समय में ईंट-भट्ठों पर 6 हजार रुपये प्रति हजार का दाम होगा। साथ ही एक तिहाई ईंट-भट्ठा चलाए जाने का जो आदेश सरकार ने दिया है, को वापिस लिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भट्ठा कारोबार ठप्प हो जाएगा। साथ ही टैक्स की दर को 12 फीसद से 5 फीसद किए जाने की मांग उठाईं।

सीजन के लिए हो रही तैयारी, कर रहे अग्रिम बुकिग : तय समय पर चलने वाले ईंट-भट्ठों के लिए भट्ठा मालिक ईंट पथवाने, पकाई के लिए कोयले आदि का बंदोबस्त करने सहित अन्य सभी तैयारियां पूरी करते हैं। ताकि, सीजन के समय पर उन्हें कोई परेशानी ना हो। फिलहाल ईंट पथाई के लिए मजदूर ईंट भट्ठों पर पहुंचने लगे हैं। ताकि, मार्च माह तक पथाई का काम पूरा किया जा सके। इधर, कोयला की बढ़ती हुई कीमत ने भी भट्ठा स्वामियों पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है। जबकि, नए आदेश के बाद आगामी वर्ष में ईंट भट्ठे चलने के संशय को लेकर भी भट्ठा मालिक चितित है। जिसका हल निकालने के लिए ही विचार विमर्श हुआ। बॉक्स : आंकड़ों की ²ष्टि बात करें तो फिलहाल 387 ईंट भट्ठे हैं। जिनमें से 90 फीसद ईंट भट्ठे कोयले से चलते हैं। पिछले वर्ष 7200-7400 रुपये प्रति टन कोयला ईंट भट्ठों को मिलता था। जबकि, अंत तक कोयले की कीमत 11400 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई। इस बार 24000-25000 हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से कोयला मिल रहा है। ऐसा होने से ईंट बनाने में आने वाली लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है। जिसका असर ईंटों की कीमत पर अब देखने को साफ मिला है। जो कि मीटिग में तय भी हो गया है। मौजूद रहे कारोबारियों ने पुन: नई कार्यकारिणी का गठन किया है। इधर, भट्ठा स्वामियों से जुड़े दूसरे गुट ने 31 अक्टूबर को बैठक बुलाए जाने की सूचना जारी है। कहना है कि मंगलवार को सीमित संख्या में लोगों ने यह फैसला लिया है।

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