नए नियम व कोयले की महंगाई से ईंट-भट्ठा उद्योग पर मंडराया संकट, ईंटों की कीमत में उछाल की संभावना

-दो गुना से अधिक बढ़े कोयले की कीमत ईंटों की कीमतों में भी हो सकती है दो गुना तक बढ़ोतरी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 10:50 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 10:50 PM (IST)
नए नियम व कोयले की महंगाई से ईंट-भट्ठा उद्योग पर मंडराया संकट, ईंटों की कीमत में उछाल की संभावना
नए नियम व कोयले की महंगाई से ईंट-भट्ठा उद्योग पर मंडराया संकट, ईंटों की कीमत में उछाल की संभावना

जागरण संवाददाता,झज्जर :

प्रदेश में ईंट-भट्ठों के लिए प्रसिद्ध जिला झज्जर का ईंट-भट्ठा उद्योग पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एक तरफ जहां कोयला के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी झेल रहा है तो दूसरी तरफ एक तिहाई भट्ठे चलने की सूचना पर ईंट-भट्ठा मालिक चितित है। वहीं इसका असर सीधा आम जनता पर पड़ने की संभावना है। ईंटों की कीमत भी दोगुनी तक बढ़ सकती है। जिससे कि लोगों को भवन निर्माण में अपनी जेब ढिल्ली करनी पड़ेगी। ईंट भट्ठों को लेकर पैदा हो रहे इस समस्या से निपटने के लिए भट्ठा मालिकों ने एकजुट होकर इसका सामना करने का निर्णय लिया है। जिसके लिए 26 अक्टूबर को सुबह साढ़े 10 बजे भट्ठा एसोसिएशन झज्जर की बैठक शहर की छोटूराम धर्मशाला में होगी। जिसमें जिले के ईंट भट्ठा मालिक भाग लेंगे और इस संकट से निपटने की रणनीति बनाएंगे।

जिले की बात करें तो फिलहाल 387 ईंट भट्ठे हैं। जिनमें से 90 फीसद ईंट भट्ठे कोयले से चलते हैं। जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कोयले की कीमत का ईंट भट्ठों पर क्या असर पड़ा। पिछले वर्ष की बात करें तो शुरूआत में 7200-7400 रुपये प्रति टन कोयला ईंट भट्ठों को मिलता था। वहीं अंत तक कोयले की कीमत 11400 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई। हालांकि इस बार कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी का असर ईंट भट्ठों पर भी पड़ रहा है। इस बार 24000-25000 हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से कोयला मिल रहा है। जिस कारण ईंट बनाने में आने वाली लागत में भी बढ़ोतरी होगी। जिसका असर ईंटों की कीमत पर भी पड़ेगा। फिलहाल की बात करें तो जिले में ईंट 5000-5500 रुपये प्रति हजार के हिसाब से मिल रही हैं। हालांकि पिछले वर्ष की ईंटों को भट्ठा मालिक बेच रहे हैं। लेकिन इस बार ईंट भट्ठों पर अगर खर्च बढ़ेगा तो ईंटों की कीमत में भी बढ़ोतरी होगी।

एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के आदेश पर 1 मार्च से 30 जून तक ईंट भट्ठे चलते हैं। निर्धारित समय से पहले ईंट भट्ठा मालिक ईंट पथवाने, पकाई के लिए कोयले आदि का बंदोबस्त करने व अन्य सभी तैयारियां पूरी कर लेता है। ताकि उसे कोई परेशानी ना हो। फिलहाल ईंट पथाई के लिए मजदूर ईंट भट्ठों पर पहुंचने लगे हैं। अभी से अगले साल की तैयारियां आरंभ कर दी जाएंगी। ताकि एनजीटी द्वारा भट्ठे चलाने की छूट देने के बाद ईंट पकाकर तैयार की जा सके। इसी उद्देश्य से भट्ठा मालिक तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं बढ़ती कोयले की कीमतों ने भट्ठा मालिकों पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है। वहीं आगामी वर्ष के दौरान ईंट भट्ठे चलने के संशय को लेकर भी भट्ठा मालिक चितित है। ऐसे में वे करें तो क्या करे। इसका सीधा असर आमजन की जेब पर ही पढ़ने वाता है। अगर ईंटों की कीमत में बढ़ोतरी होगी तो लोगों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ेगा। बाक्स :

भट्ठा एसोसिएशन झज्जर के चेयरमैन महाबीर गुलिया ने बताया कि एनजीटी ने जिले में 282 ईंट भट्ठों को चलाने की अनुमति दी हुई हैं। वहीं अब सरकार एक नया फरमान ला रही है। जिसके तहत जिले के एक तिहाई ईंट भट्ठे ही चल पाएंगे। ऐसे में जिले के केवल 127 ईंट भट्ठों को ही चलाने की अनुमति मिलेगी, जबकि एनजीटी 282 ईंट भट्ठों को चलाने की अनुमति दे रहा है। अगर यह नियम लागू हुआ तो ईंट भट्ठा उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जाएगा। क्योंकि तीन वर्ष में एक बार ही ईंट भट्ठा चलाने का मौका मिलेगा। जबकि अन्य दो वर्षों में ईंट भट्ठा बंद रखना होगा। इसलिए भट्ठा मालिकों के समक्ष ईंट भट्ठे बंद करने तक की नौबत आ सकती है। ऊपर से बढ़ती कोयले की कीमत। ऐसे में अगले वर्ष तक ईंटों की कीमत दोगुनी तक बढ़ सकती है। इन समस्याओं को लेकर झज्जर शहर की छोटूराम धर्मशाला में 26 अक्टूबर को भट्ठा एसोसिएशन द्वारा जिलेभर के ईंट भट्ठा मालिकों की बैठक का आयोजन किया जा रहा है।

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